Lokmat Parliamentary Award 2025: भारतीय लोकतंत्र के मंदिर 'संसद' में जनता की आवाज बुलंद करने वाले जनप्रतिनिधियों के सम्मान का मंच सज चुका है। नई दिल्ली में आयोजित 'लोकमत संसदीय पुरस्कार 2025' के जरिए उन सांसदों को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने अपनी वाकपटुता, सक्रियता और विधायी कार्यों से संसदीय गरिमा को नई ऊंचाइयां दी हैं। लोकतंत्र की यात्रा में कुछ नाम इतिहास बन जाते हैं। ऐसा ही एक नाम है टी. आर. बालू।
लोकसभा में दशकों तक जनता की आवाज़ बनकर, उन्होंने विकास, अधोसंरचना और जनहित के मुद्दों को लगातार मजबूती से उठाया। नीतियों में दूरदृष्टि, संसदीय कार्यों में अनुशासन और जनसेवा में समर्पण यही उनकी पहचान रही है। राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है। लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025 के अवसर पर, हमें टी. आर. बालू जी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देते हुए बहुत खुशी हो रही है।
बता दें कि लोकमत संसदीय पुरस्कार 2017 में शुरू किए गए थे, यह उन सांसदों को सम्मानित करने की हमारी पहल है जो प्रगति लाते हैं, आशा पैदा करते हैं और हमारे देश के लिए प्रेरणा और गौरव का स्रोत हैं।
संसदीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सांसदों को ‘लोकमत’ पत्र समूह की ओर से पिछले पांच वर्षों से ‘लोकमत पार्लियामेंटरी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार शाम छह बजे लोकसभा और राज्यसभा के चार-चार सांसदों को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ की ज्यूरी के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल तथा सहकार और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल उपस्थित रहे।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश भूषण गवई की भी विशेष उपस्थिति रही। लोकमत मीडिया समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन एवं पूर्व सांसद डॉ. विजय दर्डा और लोकमत के एडिटर-इन-चीफ राजेंद्र दर्डा की मौजूदगी में यह समारोह हो रहा है।
इसके अलावा, ‘लोकमत’ कॉन्क्लेव के तहत दो विषयों पर चर्चा सत्र आयोजित किए गए हैं। पहला सत्र दोपहर तीन बजे से शुरू हुआ, जिसमें ‘फ्रीबीज बिफोर पोल्स-अ बून ऑर बेन’ विषय पर राष्ट्रवादी कांग्रेस के सांसद सुनील तटकरे और राज्यसभा सांसद प्रो. मनोजकुमार झा अपने विचार रखे. दूसरा सत्र साढ़े चार बजे से शुरू हुआ. ‘चैलेंजेस बिफोर कॉन्स्टिट्यूशनल बॉडीज’ विषय पर पूर्व प्रधान न्यायाधीश भूषण गवई, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी और राज्यसभा सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी अपने विचार व्यक्त किए।
इस वर्ष की ज्यूरी में पूर्व केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल (अध्यक्ष), लोकसभा सांसद प्रो. सौगत राय, भर्तृहरि महताब, डॉ. निशिकांत दुबे, कनिमोझी करुणानिधि, राज्यसभा सांसद डॉ. सस्मित पात्रा, जया बच्चन, डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त, लोकमत मीडिया समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन एवं पूर्व सांसद डॉ. विजय दर्डा और नेशनल एडिटर हरीश गुप्ता शामिल थे।