Lokmat Exclusive: देर रात को एक व्हाट्सऐप मैसेज से हुई CBI चीफ़ आलोक वर्मा की छुट्टी!

By हरीश गुप्ता | Published: October 26, 2018 08:05 AM2018-10-26T08:05:01+5:302018-10-26T08:17:49+5:30

CBI vs CBI: CBI के निदेशक आलोक वर्मा और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच हुए विवाद में पीएम नरेंद्र मोदी और एनएसए अजित डोभाल को दखल देना पड़ा। सीबीआई के दोनों आला अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि ये सारा मामला राफ़ेल डील से जुड़ी जाँच को दबाने का है। बीजेपी ने इन आरोपों से इनकार किया है।

lokmat exclusive: CBI vs CBI, alok verma leave was decided on one whatsapp message know what happened in mid night, role of pm narendra modi | Lokmat Exclusive: देर रात को एक व्हाट्सऐप मैसेज से हुई CBI चीफ़ आलोक वर्मा की छुट्टी!

अजित डोभाल (बाएँ) देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। आलोक वर्मा सीबीआई के निदेशक हैं। (फाइल फोटो)

Highlightsसीबीआई चीफ आलोक वर्मा और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर घूसखोरी का आरोप लगाया है।आलोक वर्मा के आदेश पर राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने रिश्वतखोरी का केस दर्ज किया।विवाद बढ़ने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने दोनों अफसरों से मुलाकात की। दोनों को फिलहाल छुट्टी पर भेज दिया गया है।

सीबीआई मुख्यालय पर भूचाल के झटकों के बीच यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को देर रात एक बजे व्हॉट्सएप्प मैसेज के जरिये हटाया गया था।

दरअसल वर्मा को यह संदेश देने का काम पीएमओ के अधीनस्थ कार्यरत कार्मिक विभाग के एक अफसर को दिया गया था। वह देर रात 12.55 बजे तक संदेश पहुंचाने में नाकाम रहा। वर्मा के जनपथ पर स्थित बंगले के सुरक्षा गार्ड्स ने यह कहकर पत्र लेने से इनकार कर दिया कि 'साहब सो गए हैं।' लटक जाते तबादले पत्र अगर वर्मा को नहीं सौंपा जाता तो सारा मामला जस का तस ही बना रहता।

ऐसे में एम नागेश्वर राव के लिए कार्यकारी निदेशक की भूमिका निभा पाना नामुमकिन होता। साथ ही थोक में किए गए तबादलों के अलावा वर्मा और उनके अधिकारियों के दफ्तरों की तलाशी भी अधर में ही रह जाती। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, डिप्टी प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा, पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कार्मिक विभाग के अतिरिक्त सचिव लोक रंजन सहित सरकार का इंतजार लंबा खिंचता चला जा रहा था।

आखिरकार अजित डोभाल ने लोक रंजन से वर्मा को छुट्टी का आदेश व्हॉट्सएप्प पर भेजने को कहा। लोक रंजन के पास अपना मोबाइल नहीं था, वह भी पीएमओ द्वारा ही उपलब्ध कराया गया था।

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सरकार की खुशकिस्मती ही कही जाएगी कि वर्मा ने मोबाइल पर संदेश आते ही उसे खोलकर देख लिया। उधर, संदेश पर दो नीली लाइन्स देखते ही लोक रंजन ने राहत की सांस ली कि छुट्टी का आदेश डिलीवर हो गया। सारे एक्शन मोड में एकाएक सभी एक्शन मोड में आ गए।

आलोक वर्मा के कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क निकाली गयी

आईबी के आठ अफसरों की टीम तुरंत सीबीआई मुख्यालय पहुंची और उसने तत्काल उन दो मंजिलों पर कब्जा कर लिया जहां आला अफसर काम करते थे। यहां तक कि कार्यकारी निदेशक बनाए गए नागेश्वर राव को भी 11वें माले पर वर्मा के चैम्बर में कुछ देर जाने के बाद अपने कमरे में ही रहने का आग्रह किया गया।

छापे के स्तर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अतिरिक्त सचिव स्तर का अधिकारी टीम का नेतृत्व कर रहा था। हार्ड डिस्क निकाल ली टीम ने वर्मा के कम्प्यूटरों से हार्ड डिस्क्स निकाल ली। कमरे में रखी गई सारी फाइलों की फोटोकॉपी निकाल ली गई और कमरे में मौजूद सारे कागज खंगाले गए।

अफसरों के दूसरे दल ने एके बस्सी (डिप्टी एसपी) के कार्यालय को को छान डाला, जिन्होंने अपने साथी डीएसपी देवेंदर कुमार को दो दिन पहले ही गिरफ्तार किया था। संयुक्त संचालक (पॉलिसी) एके। शर्मा के दफ्तर की भी तलाशी ली गई। आईबी के अधिकारियों के वापस लौटने तक सीबीआई के किसी भी अधिकारी को मुख्यालय में घुसने ही नहीं दिया गया।

सीबीआई दफ्तर में आईबी के अफसरों की मौजूदगी का रहस्य

यह रहस्य अभी भी बरकरार है कि आखिर आईबी के अफसर सीबीआई के आला अफसरों के दफ्तरों में क्या तलाश रहे थे। यह खबरें निराधार थीं कि सरकार राफेल मामले की जांच को लेकर चिंतित है क्योंकि वर्मा ने कागजात ए।के। शर्मा को भेजे थे। यह कागजात प्रशांत भूषण ने सीबीआई को दिए थे जिन्हें सामान्य प्रक्रिया के तहत शर्मा को भेजा गया था। मामला कुछ और ही।

तबादले का सामना करने वाले तमाम अधिकारियों के कम्प्यूटरों की सभी हार्ड डिस्क्स आईबी द्वारा जब्त किया जाना मामला कुछ और ही होने की ओर संकेत कर रहा है। उल्लेखनीय तौर पर एके शर्मा भी गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और प्रधानमंत्री के खास माने जाते हैं क्योंकि उन्हें महत्वपूर्ण नीति विभाग दिया गया है और दिल्ली के बाहर नहीं भेजा गया।

उन्हें दिल्ली में ही एमडीएमए का मुखिया बनाया गया है, जो 27 साल से राजीव गांधी हत्या मामले की जांच कर रहा है। हां यह रहस्य कायम है कि उन्होंने (शर्मा) राकेश अस्थाना की जगह वर्मा का पक्ष क्यों लिया।

English summary :
Lokmat Exclusive - CBI vs CBI: Alok verma leave was decided on one whatsapp message know what happened in mid night and what is the role of pm narendra modi.


Web Title: lokmat exclusive: CBI vs CBI, alok verma leave was decided on one whatsapp message know what happened in mid night, role of pm narendra modi

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