Lok Sabha Polls 2024: यादव vs यादव की लड़ाई में पाटलिपुत्र सीट पर परास्त होता रहा है लालू परिवार, इस बार भी टिकी हैं सभी की निगाहें

By एस पी सिन्हा | Published: March 7, 2024 03:09 PM2024-03-07T15:09:16+5:302024-03-07T15:12:42+5:30

2009, 2014 और 2019 में से एक बार लालू यादव और दो बार लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी और यहां का राजनीतिक गणित देखिए की हर बार राजद को यहां हार का सामना करना पड़ा।

Lok Sabha Polls 2024 In the battle of Yadav vs Yadav, Lalu family has been losing on Patliputra seat, this time too all eyes are on | Lok Sabha Polls 2024: यादव vs यादव की लड़ाई में पाटलिपुत्र सीट पर परास्त होता रहा है लालू परिवार, इस बार भी टिकी हैं सभी की निगाहें

Lok Sabha Polls 2024: यादव vs यादव की लड़ाई में पाटलिपुत्र सीट पर परास्त होता रहा है लालू परिवार, इस बार भी टिकी हैं सभी की निगाहें

Highlightsपाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में 5 लाख यादव, 4 लाख कुर्मी और 3 लाख भूमिहार मतदाताओं की तादाद हैइस सीट पर लालू यादव जैसे दिग्गज नेता को भी जनता ने अपना आशीर्वाद नहीं दियाबीते दो चुनावों में यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव विजयी रहे हैं

पटना: बिहार में वीआईपी सीटों में शुमार पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें एक बार फिर से टिक गई हैं। बिहार राज्य का यह बेहद महत्वपूर्ण इलाका है। गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर को लगभग 2000 वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। सम्राट अजातशत्रु के उत्तराधिकारी उदयिन ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया और बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य ने यहां साम्राज्य स्थापित कर अपनी राजधानी बनाई। वहीं, परिसीमन के बाद पटना की लोकसभा सीट दो हिस्सों में बंट गई। एक पटना साहिब और दूसरी पाटलिपुत्र। पाटलिपुत्र के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं। परिसीमन के बाद से ही बिहार की सियासी फिजा में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का नतीजा बहुत ही चौंकाने वाला रहा है।

इस सीट पर यादव बनाम यादव की ही सियासत को हवा मिलती रही है। इसके बावजूद यहां से राजद आज तक खाता नहीं खोल पाई है। वर्ष 2009 में पहली बार इस सीट पर जदयू उम्मीदवार डॉ. रंजन प्रसाद यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को शिकस्त दी थी। 2009, 2014 और 2019 में से एक बार लालू यादव और दो बार लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी और यहां का राजनीतिक गणित देखिए की हर बार राजद को यहां हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने 2019 में लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती को 39,000 से ज्यादा वोटों से हराया था। एक फिर लोकसभा चुनाव में पाटलिपुत्र सीट पर सबकी नजर रहेगी, क्योंकि बीते दो चुनावों में यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव विजयी रहे हैं। 

इस बार की लड़ाई भी संभवत: रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच होगी। रामकृपाल यादव 2014 तक राजद के प्रभावी नेता हुआ करते थे। उन्हें लालू परिवार का करीबी माना जाता था। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में राजद से टिकट न मिलने से नाराज रामकृपाल यादव ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा का दामन थामा और पाटलिपुत्र सीट से विजयी हुए। उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद की मीसा भारती को लगभग 40 हजार वोटों से हराया। इसके बाद 2019 में रामकृपाल यादव ने फिर से मीसा भारती को हराया। 

इस सीट पर लालू यादव जैसे दिग्गज नेता को भी जनता ने अपना आशीर्वाद नहीं दिया। अब 2024 में भी महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला है। महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर होगी। कांटे की टक्कर का कारण यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में पाटलिपुत्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों- दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और विक्रम, सभी में महागठबंधन ने जीत हासिल की थी। 

पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां 5 लाख यादव, 4 लाख कुर्मी और 3 लाख भूमिहार मतदाताओं की तादाद है। दानापुर यादवों का गढ़ है और यहां से राजद के रीतलाल यादव जीते थे। भाजपा प्रत्याशी दूसरे पर नंबर रहे। मनेर भी यादव बाहुल्य क्षेत्र है। यहां से हर बार यादव प्रत्याशी खड़ा कर राजद जीत हासिल करती आई है। फुलवारी शरीफ अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र है। यहां भाकपा- माले के विधायक गोपाल रविदास ने जीत हासिल की थी। मसौढ़ी में कुर्मी और यादव बहुसंख्यक हैं। लेकिन सुरक्षित होने के कारण राजद प्रत्याशी रेखा देवी ने जीत हासिल की। जदयू दूसरे नंबर पर थी। 

पालीगंज और विक्रम की बात की जाए तो ये भूमिहारों का क्षेत्र है। महागठबंधन की तरफ से पालीगंज से भाकपा-माले के संदीप सौरभ ने जीत हासिल की। विक्रम से भी भूमिहार प्रत्याशी खड़े होते हैं और जीतते आते हैं। विधानसभा में यहां से महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। सिद्धार्थ सौरभ ने जीते थे लेकिन उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

पाटलिपुत्र में रामकृपाल यादव घर-घर के नेता माने जाते हैं। किसी भी छोटे-बड़े कार्यक्रम में वह बुलाए जाने पर वह जरूर पहुंचते हैं। जहां तक मीसा की बात है तो वह सिर्फ चुनाव के दौरान ही जनता के बीच नजर आती हैं। जानकार उनकी हार के पीछे इसे एक अहम कारण बताते हैं। जनता में मीसा की छवि की बात की जाए तो वह पिछली वाली छवि से मुक्त नहीं हो पाई हैं। हालांकि, इस लोकसभा सीट पर महागठबंधन का दबदबा है। रामकृपाल यादव की जीत के पीछे उनका मिलनसार होना अहम है। वह आसानी से जनता के लिए उपलब्ध हैं। 

यही कारण है इस बार भी उनके पक्ष में पलड़ा भारी है। हर बार राजद के ज्यादा विधायक रहने के बावजूद रामकृपाल यादव आसानी से जीत हासिल कर लेते हैं। हालांकि इस बार राजद और भाकपा- माले साथ है। एनडीए में जदयू साथ है तो स्थिति पिछले जैसा ही माना जा रहा है। भाजपा अभी से दमखम लगाने लगी है। इस क्षेत्र में पिछली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद प्रचार करने आए थे। इस बार भाजपा के चाणक्य अमित शाह क्षेत्र में लोगों को संबोधित करने 9 मार्च को पालीगंज पहुंच रहे हैं।

Web Title: Lok Sabha Polls 2024 In the battle of Yadav vs Yadav, Lalu family has been losing on Patliputra seat, this time too all eyes are on

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