लोकसभा चुनाव: क्या राजे को चुनाव लड़ने के लिए राजी कर पाएगा भाजपा नेतृत्व?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 22, 2019 02:02 PM2019-03-22T14:02:39+5:302019-03-22T14:02:39+5:30
भाजपा नेतृत्व और राजे के राजनीतिक संबंध जगजाहिर हैं। भाजपा नेतृत्व उन्हें प्रादेशिक राजनीति से दूर ले जाना चाहता है, किंतु राजे इसके लिए तैयार नहीं हैं।
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची गुरुवार को जारी कर दी है। 184 उम्मीदवारों की सूची में राजस्थान से 16 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हुई है। राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। 14 वर्तमान सांसदों को दोबारा टिकट दिया गया जबकि पार्टी ने राजस्थान की एकमात्र महिला सांसद संतोष अहलावत का टिकट काट दिया है।
लेकिन, सबसे बडी सियासी उत्सुकता इस बात को लेकर है कि क्या राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लोस चुनाव लड़ने के लिए राजी किया जा सकेगा? अभी भी नौ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की जानी बाकी है। झालावाड़ बारां से वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
दरअसल, भाजपा नेतृत्व और राजे के राजनीतिक संबंध जगजाहिर हैं। भाजपा नेतृत्व उन्हें प्रादेशिक राजनीति से दूर ले जाना चाहता है, किंतु राजे इसके लिए तैयार नहीं हैं। राजे को पार्टी में राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी भी इसीलिए दी गई है, ताकि राजस्थान से उनका ध्यान हटाया जा सके और भाजपा को राजस्थान में नया नेतृत्व तैयार करने का मौका मिल सके।
झालावाड़-बारां भाजपा की मजबूत सीट है। वर्ष 2014 के लोस चुनाव में यहां से दुष्यंत सिंह ने 6,76,108 वोट हांसिल करके 2,81,546 वोटों से जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद भाया थे, जिन्हें 3,94,556 वोट मिले थे। उस वक्त दुष्यंत सिंह को केंद्र सरकार में मंत्री पद मिलने की चर्चा भी थी, ऐसा नहीं हुआ, परन्तु यदि इस बार दुष्यंत सिंह चुनाव जीतते हैं और केंद्र में भाजपा की सरकार बनती है तो उन्हें मंत्री बनने का अवसर मिल सकता है।