लोकसभा चुनावः कांग्रेस की पहली सूची से जातिगत समीकरण गड़बड़ाया, अब दूसरी लिस्ट का इंतजार

By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 1, 2019 04:59 PM2019-04-01T16:59:54+5:302019-04-01T16:59:54+5:30

केन्द्र की मोदी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन किया तो ब्राह्मण समाज ने फिर से कांग्रेस का साथ दिया जिसके कारण राजस्थान विस चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा, हालांकि ब्राह्मण समाज सहित सामान्य वर्ग की नाराजगी के चलते मोदी सरकार ने मजबूरी में ही सही, चुनाव से कुछ समय पहले ही आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी.

Lok Sabha elections: caste equation deteriorated from first list of Congress in rajasthan | लोकसभा चुनावः कांग्रेस की पहली सूची से जातिगत समीकरण गड़बड़ाया, अब दूसरी लिस्ट का इंतजार

लोकसभा चुनावः कांग्रेस की पहली सूची से जातिगत समीकरण गड़बड़ाया, अब दूसरी लिस्ट का इंतजार

राजस्थान में लोस चुनाव के लिए लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने 25 में से 19 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन इससे जातिगत समीकरण गड़बड़ा गया है. किसी भी ब्राह्मण अथवा गुर्जर समाज के नेता को पहली सूची में जगह नहीं मिली है, जबकि पिछली बार महेश जोशी, डा. सीपी जोशी, गिरिजा व्यास जैसे ब्राह्मण समाज के नेताओं को टिकट दिया गया था. अब बची हुई 6 सीटों का इंतजार है कि क्या ब्राह्मण-गुर्जर समाज के नेताओं को इस बार लोस चुनाव में मौका मिल सकेगा. 

इस वक्त राजस्थान में ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पं भंवरलाल शर्मा कांग्रेस में बड़ा चेहरा हैं, तो कभी बीजेपी के प्रमुख ब्राह्मण नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी भी अब कांग्रेस में आ गए हैं, लेकिन अगर ब्राह्मण समाज को टिकट नहीं दिया जाता है, तो उनके लिए भी कांग्रेस के लिए मत-समर्थन जुटाना मुश्किल होगा. 

ब्राह्मण समाज आजादी के पहले से ही कांग्रेस के साथ रहा है, लेकिन वर्ष 2013-14 के चुनावों में इस समाज ने बीजेपी का साथ दिया, जिसके नतीजे में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा. वैसे तो राजस्थान में ब्राह्मणों की आबादी दस प्रतिशत से भी कम है, परन्तु यह मतदाताओं को प्रभावित करने वाला प्रेरक वर्ग है, इसलिए किसी भी सियासी दल के लिए इन्हें नजरंदाज करना आसान नहीं है. 

केन्द्र की मोदी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन किया तो ब्राह्मण समाज ने फिर से कांग्रेस का साथ दिया जिसके कारण राजस्थान विस चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा, हालांकि ब्राह्मण समाज सहित सामान्य वर्ग की नाराजगी के चलते मोदी सरकार ने मजबूरी में ही सही, चुनाव से कुछ समय पहले ही आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी. इसका क्या असर रहेगा, यह तो चुनाव के नतीजों में ही साफ हो पाएगा.

कांग्रेस के लिए अब बड़ी समस्या यह भी है कि बची हुई सीटों में से करीब आधी सीटें ही ऐसी हैं, जहां से इन समाजों के उम्मीदवारों को टिकट दिया जा सकता है, किन्तु वहां भी जिताउ उम्मीदवार तलाशना थोड़ा मुश्किल है. 

कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनी ये 6 सीटें हैं- भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर ग्रामीण, बारां-झालावाड़, श्रीगंगानगर और राजसमंद.अजमेर और भीलवाड़ा सीटें ब्राह्मण और गुर्जर दोनों ही समाजों के लिए उपयुक्त मानी जाती है, तो बारां-झालावाड़ लोस सीट गुर्जर समाज को मिल सकती है.

जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में सभी समाजों का असर है और यह सीट बीजेपी की सबसे मजबूत सीटों में से एक है, लिहाजा यहां से कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार की जरूरत पड़ेगी, चाहे वह किसी भी जाति-समाज का हो. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस उम्मीदवारों की अगली सूची में ब्राह्मण और गुर्जर समाज को प्रतिनिधित्व दे पाती है या नहीं.

Web Title: Lok Sabha elections: caste equation deteriorated from first list of Congress in rajasthan