BJP को राष्ट्रवाद के मुद्दे से मिली छत्तीसगढ़ में बड़ी सफलता

By भाषा | Published: May 24, 2019 01:21 AM2019-05-24T01:21:17+5:302019-05-24T01:21:17+5:30

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बावजूद इस आम चुनाव में 11 में से नौ सीटों पर भाजपा की जीत ने साबित कर दिया है कि राज्य में राष्ट्रवाद और मोदी का प्रभाव कायम है। इस चुनाव में कांग्रेस को बस्तर और कोरबा लोकसभा सीट पर जीत मिली है। 

Lok Sabha Elections: Big success in Chhattisgarh, BJP's issue of nationalism | BJP को राष्ट्रवाद के मुद्दे से मिली छत्तीसगढ़ में बड़ी सफलता

BJP को राष्ट्रवाद के मुद्दे से मिली छत्तीसगढ़ में बड़ी सफलता

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के ठीक पांच महीने बाद भाजपा को राज्य की 11 में से नौ लोकसभा सीटों पर बृहस्पतिवार को मिली जीत ने साबित कर दिया है कि राज्य में ‘‘राष्ट्रवाद’’ बड़ा मुद्दा था और इस जीत के नायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। 

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बावजूद इस आम चुनाव में 11 में से नौ सीटों पर भाजपा की जीत ने साबित कर दिया है कि राज्य में राष्ट्रवाद और मोदी का प्रभाव कायम है। इस चुनाव में कांग्रेस को बस्तर और कोरबा लोकसभा सीट पर जीत मिली है। 

राज्य में पिछले साल के आखिरी महीनों में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 15 साल पुरानी सरकार ढह गई थी और कांग्रेस को लंबे इंतजार के बाद एक बड़ी जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जब राज्य के 90 सीटों में से 68 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में आई तब राजनीतिक पंडितों ने कुछ ही महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी जीत की उम्मीद जताई थी। लेकिन आज के नतीजों ने यह तय कर दिया है कि राज्य और देश के मुद्दे अलग होते हैं और मतदान का कोई तय रुख नहीं होता है। जनता अपनी पसंद के अनुसार राज्य और देश का मुखिया चुनती है। 

छत्तीसगढ़ में राज्य निर्माण के बाद से लेकर अब तक वर्ष 2004, 2009, 2014 और इस आम चुनाव को मिलाकर कुल चार लोकसभा के चुनाव हुए हैं। तीन लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 11 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। तथा इस चुनाव में पार्टी को नौ सीटों पर कामयाबी मिली है। 

राज्य में किसान की बहुसंख्य आबादी को देखते हुए वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्ज माफ और धान का समर्थन मूल्य 25 सौ रूपए करने का वादा कर सत्ता की चाबी हासिल की थी और इसमें 15 वर्ष के शासन के दौरान उपजी सत्ता विरोधी लहर ने भी मदद की थी। हांलकि हार से सीख लेते हुए भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव में अपने किसी भी मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया। 

इन सांसदों में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव साय और सात बार के सांसद रमेश बैस भी शामिल रहे। वहीं कांग्रेस ने रणनीतिक तौर पर चार मौजूदा विधायकों सरगुजा से खेलसाय सिंह, बस्तर से दीपक बैज, महासमुंद से धनेंद्र साहू और रायगढ़ से लालजीत सिंह राठिया को लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया। इसमें से केवल दीपक बैज ही सफल हो सके। 

सत्ता परिवर्तन के ठीक पांच महीने बाद जब लोकसभा का चुनाव हुआ तब मतदाताओं ने अपना मत बदला और एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को अपनी पहली पसंद बनाया। विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा को 32.97 फीसदी मत मिले थे वह बढ़कर इस लोकसभा चुनाव में 50.70 प्रतिशत हो गये। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 43.04 फीसदी वोट हासिल किये थे जो घटकर इस चुनाव में 40.91 प्रतिशत रह गए। 

इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 11 में से नौ सीटों पर जीत हासिल कर ली है वहीं कांग्रेस ने दो सीटें जीती है। राज्य में लोकसभा चुनाव में यह कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी जीत है, क्योंकि इस चुनाव में कांग्रेस ने दोगुनी सीट पर जीत हासिल की है। यह अलग बात है कि इसके बावजूद कांग्रेस जीत से उत्साहित नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और जनता ने उन्हें समर्थन दिया। कांग्रेस की हार की समीक्षा की जाएगी। आम चुनाव में पार्टी की नौ सीटों पर जीत से भाजपा उत्साहित है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि यह नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए चुनाव था। देश की जनता ने उनपर एक बार फिर भरोसा जताया है।

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