Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस को लगा भारी झटका, प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दिया इस्तीफा, कहा- "किसी भी कीमत पर सनातन विरोधी नारा नहीं लगा सकता"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 4, 2024 08:52 AM2024-04-04T08:52:01+5:302024-04-04T08:57:21+5:30
राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस लग रहे झटकों का सिलसिला थम नहीं रहा है। खबर आ रही है कि राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
गौरव वल्लभा हाल में संपन्न हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव मं उदयपुर सीट पर चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें 32 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
हालांकि विधानसभा चुनाव बीतने के लगभग 4 महीने के बाद अब गौरव बल्लभ का कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो गया है और उन्होंने कांग्रेस को नमस्ते कह दिया है। सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किये अपने इस्तीफे में गौरव बल्लभ ने कहा कि वो पार्टी के बचाव में कोई भी तर्क देने के लिए तैयार हैं लेकिन वो किसी भी कीमत पर वो सनातन के विरोध में न तो नारे लगा सकते हैं और न कोई तर्क दे सकते हैं। इस कारण वो कांग्रेस में नहीं रहना चाहते हैं।
गौरव वल्लभ ने कहा, ''कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इस कारण मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।''
कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा.मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता.इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं pic.twitter.com/Xp9nFO80I6
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) April 4, 2024
मालूम हो कि चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी विरोधी दल भाजपा से ज्यादा अपने नेताओं से परेशान नजर आ रही है। राजस्थान के इस बवालिया मसले के इतर पार्टी ने महाराष्ट्र में एक कठोर फैसले लेते हुए अपने फायरब्रांड नेता संजय निरुपम को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
इस संबंध में कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक बयान जारी करके कहा है कि महाराष्ट्र के नेता संजय निरुपम को "अनुशासनहीनता" और "पार्टी विरोधी बयानों" के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार वेणुगोपाल ने बुधवार रात में जारी किये बयान में कहा, "अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों की शिकायतों पर ध्यान देते हु, माननीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संजय निरुपम को तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने की मंजूरी दे दी है।"
कांग्रेस पार्टी का यह फैसला दिन में लोकसभा आम चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची से निरुपम को हटाए जाने के बाद आया है। निरुपम के निष्कासन से पूर्व
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा था, "स्टार प्रचारकों में संजय निरुपम नाम था, जिसे रद्द कर दिया गया है। वह जिस तरह के बयान दे रहे हैं, उस पर कार्रवाई की जाएगी।"
लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर इंडिया ब्लॉक पार्टनर, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के खिलाफ उनकी हालिया टिप्पणी के लिए यह कार्रवाई की गई। हालांकि पटोले की घोषणा के तुरंत बाद संजय निरुपम ने एक्स पर पोस्ट किया और कहा कि वह पार्टी छोड़ने का फैसला खुद लेंगे।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी को मेरे लिए ज्यादा ऊर्जा और स्टेशनरी बर्बाद नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय इसका उपयोग पार्टी को बचाने के लिए करें। वैसे भी पार्टी गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही है। मैंने जो एक सप्ताह का समय दिया था वह आज पूरा हो गया है। कल मैं खुद फैसला लूंगा।''
मालूम हो कि संजय निरुपम मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, लेकिन सीट बंटवारे के बाद यह सीट शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोत कीर्तिकर के पास चली गई। 2009 में लोकसभा में मुंबई उत्तर का प्रतिनिधित्व करने वाले निर्पुम ने कहा कि मुंबई में उम्मीदवार उतारने का शिवसेना का निर्णय कांग्रेस को किनारे करना था।
विशेष रूप से, 48 लोकसभा सीटों के साथ महाराष्ट्र राज्य, उत्तर प्रदेश के बाद संसद के निचले सदन में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने लड़ी गई 25 सीटों में से 23 पर जीत हासिल की, जबकि अविभाजित शिवसेना ने 18 सीटें हासिल कीं। विपक्षी गठबंधन का हिस्सा अविभाजित राकांपा ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार पर जीत हासिल की।