Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान के रण में सारथी बने सीएम योगी, पीएम मोदी के बाद सीएम योगी के कार्यक्रम की मांग
By राजेंद्र कुमार | Updated: April 22, 2024 19:54 IST2024-04-22T19:52:38+5:302024-04-22T19:54:21+5:30
Rajasthan Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान की वीर भूमि मेवाड़ से उस गोरक्षपीठ का रिश्ता करीब एक सदी पुराना है, जिसके पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं। सीएम योगी के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का रिश्ता मेवाड़ से ही था।

Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान के रण में सारथी बने सीएम योगी, पीएम मोदी के बाद सीएम योगी के कार्यक्रम की मांग
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के चुनावी उपयोग बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से कर रहा हैं। सीएम योगी के दौरे उन राज्यों में लगाए जा रहे हैं, जहां गोरक्षपीठ का रिश्ता है। बीते 20 अप्रैल को राजस्थान में इसी रिश्ते के तहत सीएम योगी का चुनावी कार्यक्रम लगाया गया था। राजस्थान जिसे देश की शौर्य भूमि कहा जाता है। इस भूमि से गोरक्षपीठ का जुड़ाव है।
राजस्थान की वीर भूमि मेवाड़ से उस गोरक्षपीठ का रिश्ता करीब एक सदी पुराना है, जिसके पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं। सीएम योगी के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का रिश्ता मेवाड़ से ही था। इस इतिहास के चलते ही वीरों की धरती राजस्थान में लोकसभा के चुनावी रण में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही भाजपा के सारथी हो सकते थे, जिसके चलते ही उनका चुनावी कार्यक्रम चित्तौड़, राजसमंद और जोधपुर में लगाया गया, तो 20 अप्रैल को सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में रोड शो, राजसमंद, जोधपुर में जनसभाएं की।
सीएम योगी के यह चुनावी आयोजनों उनके दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय की जन्म भूमि में पर हुए और ऐसे में उन्हे देखने सुनने के लिए इन तीनों ही जगहों पर लोगों का हुजूम आ गया। उन्हें देखने के लिए राजस्थान में उमड़ा जन सैलाब योगी की राजस्थान में लोकप्रियता का सबूत बना और अब राजस्थान में होने वाले अगले चरण के चुनावों के लिए योगी की खासी मांग है।
महाराणा प्रताप से खासे प्रभावित थे दिग्विजय नाथ
महाराणा प्रताप की राजस्थान धरती जिनका नाम सुनते ही हर भारतीय देश प्रेम के जज्बे और जुनून से भर उठता है, जिसने अपने समय के सबसे ताकतवर मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार करने की बजाय तमाम कठिनाइयों के बावजूद स्वाधीनता और राष्ट्र धर्म को चुना और वह खुद में राष्ट्रप्रेम की मिसाल बन गए। सीएम योगी के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ महाराणा प्रताप से बहुत प्रभावित थे। इसके चलते उन्होने वर्ष 1932 पूर्वांचल में ज्ञान का प्रकाश जलाने के लिए जिस शैक्षिक प्रकल्प की स्थापना की उसका नाम ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद रखा।
वर्तमान में इस नाम से कई शिक्षण संस्थाएं हैं। गोरखपुर में रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही चौराहे पर राणा प्रताप की भव्य मूर्ति आपका स्वागत करती है। कुल मिलाकर वर्तमान में गोरखपुर में भी एक मिनी मेवाड़ बसता है, जिसका श्रेय योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय को ही जाता है। यही नहीं रोहतक की मस्तराम पीठ का संबंध भी नाथ सम्प्रदाय से ही है। गोरक्षपीठ से मस्तराम पीठ के बेहद मधुर रिश्ते रहे हैं। दशकों से राजस्थान- गोरखपुर के हर महत्वपूर्ण आयोजनों में एक दूसरे के यहां आना जाना रहा है।
यहां के ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ राजस्थान के अलवर सीट से सांसद रहे हैं। बाद में उनके शिष्य बालकनाथ ने भी उस सीट का प्रतिनिधित्व किया। इससे जाहिर होता है कि नाथ पंथ का राजस्थान और हरियाणा दोनों जगहों पर खासा प्रभाव है, जिसके चलते ही सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनावी कार्यक्रम इन दोनों राज्यों में लगाए जाने की मांग वहां चुनाव लड़ रहे भाजपा का हर उम्मीदवार कर रहा है।
पार्टी प्रत्याशियों का मांग का संज्ञान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व भी लिया है। अब जल्दी ही सीएम योगी राजस्थान और हरियाणा में चुनाव प्रचार करने जाएंगे। इन दोनों राज्यों में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे अधिक सीएम योगी का ही चुनावी कार्यक्रम लगाए जाने की मांग भाजपा के प्रत्याशियों की तरफ से ही जा रही हैं। और अब यह कहा जा रहा कि राजस्थान के चुनावी रण के सारथी सीएम योगी बन गए हैं।