लोकसभा चुनाव 2019: BSP को यूपी में चाहिए 80 में से 40 सीट, अखिलेश का है ये प्लान!

By स्वाति सिंह | Published: June 2, 2018 01:51 PM2018-06-02T13:51:37+5:302018-06-02T13:51:37+5:30

कैराना और नूरपुर उपचुनाव में महागठबंधन की कामयाबी के बाद ही 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में सीटों को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में कांग्रेस और आरएलडी के हाथ कितनी सीटें आएँगी ये पता नहीं है।

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लोकसभा चुनाव 2019: BSP को यूपी में चाहिए 80 में से 40 सीट, अखिलेश का है ये प्लान!

लखनऊ, 2 जून: कैराना और नूरपुर उपचुनाव में महागठबंधन की कामयाबी के बाद अभी भी बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन वहीं जीत के बाद से ही 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में सीटों को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। बीएसपी के सूत्रों का कहना है कि वह यूपी में 80 लोकसभा सीटों में से कम से कम 40 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। पिछले हफ्ते लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा था कि पार्टी किसी भी राज्य में और किसी भी चुनाव में किसी पार्टी के साथ केवल 'सम्मानजनक' सीटें मिलने पर ही कोई चुनावी गठबंधन-समझौता करेगी।

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मायावती के सम्मानजनक वाले बयान के बाद एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि हम लोग सम्‍मान देने में आगे हैं, और सम्‍मान कौन नहीं देगा यह तो आप जानते हैं।  टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एसपी और बीएसपी में सीट के बंटवारे को लेकर लगभग फार्मूला तैयार हो गया है। इस रणनीति के आधार पर 2014 में लोकसभा चुनाव में जो पार्टी जहां से चुनाव जीती थी वही पार्टी उम्‍मीदवार इस बार भी वहीं से चुनाव लड़ेगा। अगर इस रणनीति पर अमल हुआ तो बीएसपी को 80 में से 34 सीट मिल सकती हैं वहीं एसपी को 31 सीटें मिलने की उम्मीद है। बता दें कि अभी कांग्रेस और आरएलडी के बीच सीटों का समझौता होना बाकी है।  

हाल ही में सूत्रों के हवाले से आई खबर की मानें तो कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों के लिए गठबंधन करने के बारे में गंभीर हो चुके हैं। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी पिछले पंद्रह साल से सत्ता में है। वहीं राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार सत्ता में अपने पाँच साल पूरी करेगी। तीनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है। वहीं तीनों राज्यों में दलित आबादी होने की वजह से बसपा कई सीटों पर चुनाव को प्रभावित कर सकती है।

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अभी हाल ही में कर्नाटक में बीएसपी ने जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 15 मई को जब कर्नाटक चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37 और बसपा को एक सीट पर जीत मिली। दो सीट अन्य को मिली। राज्य की दो सीटों पर चुनाव टाल दिए गये थे। इनमें से एक सीट पर 28 मई को चुनाव हुआ और 31 मई को नतीजा आया। आरआर नगर सीट जीतकर कांग्रेस ने अपना आंकड़ा 79 कर लिया। 

गौरतलब है कि 2014 के लोक सभा चुनाव में बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिली थी। 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव में भी बसपा 19 सीटों पर सिमट गयी। राजनीतिक जानकार मायावती और बसपा के भविष्य पर सवाल उठाने लगे थे। मायावती ने बीजेपी विरोधी गठबन्धन का पहला सफल प्रयोग यूपी की गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों के लिए हुए उपचुनाव में किया। गोरखपुर सीट यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और फूलपुर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की वजह से खाली हुई थी। दोनों ही सीटों पर बसपा ने सपा को समर्थन दिया। दोनों ही सीटें बीजेपी हार गई।

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