लोकसभा चुनाव 2019: अपने-अपने मुद्दों को लेकर वोट डालने के लिए घरौंदों को लौटेंगे लोग

By भाषा | Published: April 4, 2019 02:38 PM2019-04-04T14:38:14+5:302019-04-04T14:38:14+5:30

1978 से ही छत्तरपुर के पास आयानगर में रहने वाले खान ऑटो किराया बढ़ाने के दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर कुछ बेचैन हैं। उन्हें लगता है कि किराया बढ़ने के बाद लोग ऑटो में चढ़ना कम कर देंगे।

Lok Sabha Elections 2019: People will return to their homes to vote for their issues, BJP, Congress | लोकसभा चुनाव 2019: अपने-अपने मुद्दों को लेकर वोट डालने के लिए घरौंदों को लौटेंगे लोग

लोकसभा चुनाव 2019: अपने-अपने मुद्दों को लेकर वोट डालने के लिए घरौंदों को लौटेंगे लोग

Highlights1978 से ही छत्तरपुर के पास आयानगर में रहने वाले खान ऑटो किराया बढ़ाने के दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर कुछ बेचैन हैं। सरकार पिछले पांच साल में तमाम तरह के उन्मादियों और कट्टरपंथियों से लड़ने में नाकाम रही है।

कहते हैं जहां घरवाले हैं वही घर है। लेकिन चुनावों के लिहाज से देखें तो हर मतदाता का घरौंदा वहां है जहां से वह पंजीकृत है, जिस बूथ पर वह वोट डाल सकता है। हर बार चुनाव में अपना घरौंदा छोड़ रोजी-रोटी के चक्कर में बाहर आ बसे लोगों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल होती है कि वोट कैसे डाला जाए। लोग घर जाना चाहते हैं लेकिन सबके सामने अपनी-अपनी दिक्कतें हैं। किसी को आने-जाने का खर्च पूरा नहीं पड़ता तो किसी को छुट्टी नहीं मिली।

फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने-अपने मुद्दों को लेकर वोट के लिए लौट कर अपने घरौंदे तक जाते हैं। इनमें से कुछ मौजूदा सरकार से नाराज होकर जा रहे हैं, तो कुछ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फिर से उनके पद पर देखना चाहते हैं। किसी के लिए बेरोजगारी मुद्दा है तो किसी के लिए राफेल बहुत बड़ी बात है। शुरुआत एक चाय की दुकान से करते हैं। दक्षिण दिल्ली के चितरंजन पार्क में चाय की दुकान लगाने वाले निखिल पटवरिया पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।

वह पिछले ही महीने अपने पिता का अंतिम संस्कार करके लौटे हैं, लेकिन चुनाव के लिए फिर घर जा रहे हैं। पटवरिया का कहना है, ‘‘मेरे लिए पैसे जुटाना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन मैं वोट डालने घर जाउंगा। मैं जरूर जाउंगा।’’ वहीं दिल्ली में ऑटो चलाने वाले मथुरा के राजू और फैजाबाद के सकील खान भी वोट डालने अपने-अपने शहर लौटेंगे।

1978 से ही छत्तरपुर के पास आयानगर में रहने वाले खान ऑटो किराया बढ़ाने के दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर कुछ बेचैन हैं। उन्हें लगता है कि किराया बढ़ने के बाद लोग ऑटो में चढ़ना कम कर देंगे। इससे कमाई घटेगी और कुछ खास फायदा भी नहीं होगा। हालांकि खान दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से काफी खुश हैं, लेकिन केन्द्र में वह अपना वोट नरेन्द्र मोदी को देंगे। मथुरा के रहने वाले राजू भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं।

उनका कहना है, ‘‘आप ने दिल्ली में ऑटो वालों के लिए काफी कुछ किया है। लेकिन मोदी के अलावा किसी और को प्रधानमंत्री के रूप में देखना मुश्किल है। मोदी कमाल के प्रधानमंत्री और केजरीवाल बहुत अच्छे मुख्यमंत्री हैं।’’ सिर्फ दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर या अपना काम करने वाले लोग ही नहीं बल्कि नौकरियां करने वाले पेशेवर भी छुट्टियां लेकर लोकतंत्र के इस पर्व में शामिल होने जा रहे हैं।

जनसंपर्क अधिकारी प्रीती सिंह का मनना है कि हर वोट मायने रखता है। बिहार के पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में पंजीकृत मतदाता सिंह 19 मई को वोट डालने के लिए घर जा रही हैं। सिंह इस बात से खासी नाराज हैं कि सरकार पिछले पांच साल में तमाम तरह के उन्मादियों और कट्टरपंथियों से लड़ने में नाकाम रही है। इतना ही नहीं, वह राफेल पर भ्रम दूर करने में असफल रही है, तंत्र भ्रष्ट है और शिक्षण प्रणाली बर्बाद हो चुकी है। 27 वर्षीय सिंह का मानना है कि अगर आप अच्छे नेता चाहते हैं तो वोट डालें, जरूर डालें। 

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