लोकसभा चुनाव 2019: लखनऊ में सपा का समर्थन करेगी कांग्रेस, वाराणसी में मोदी के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार

By निखिल वर्मा | Published: April 16, 2019 04:53 PM2019-04-16T16:53:48+5:302019-04-16T17:13:39+5:30

लखनऊ में राजनाथ सिंह विपक्ष के लिए कठिन चुनौती हैं और ऐसे में जानकार मानते हैं कि पूनम के चयन के पीछे जाति का समीकरण अहम कारण है।

lok sabha elections 2019 mahagathbandhan joint candidate in lucknow varanasi | लोकसभा चुनाव 2019: लखनऊ में सपा का समर्थन करेगी कांग्रेस, वाराणसी में मोदी के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार

लखनऊ सीट पर 1.25 लाख सिंधी वोटर हैं।

Highlightsवाराणसी और लखनऊ में सपा-कांग्रेस-बसपा का संयुक्त उम्मीदवार होगा।वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा मंगलवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गयीं। पूनम सिन्हा सपा नेता और कन्नौज से सपा प्रत्याशी डिम्पल यादव की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गयीं। पूनम लखनऊ सीट से केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। वह 18 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेगी।

राजनाथ ने मंगलवार को ही अपना नामांकन दाखिल किया है। लखनऊ सीट पर मतदान छह मई को होगा। सपा ने कांग्रेस से अपील की है कि कांग्रेस लखनऊ सीट पर उम्मीदवार ना दें। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार लखनऊ सीट में कांग्रेस अपना प्रत्याशी नहीं देगी लेकिन वाराणसी में सपा को कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन करना होगा। दोनों जगह कांग्रेस-सपा-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।

सिंधी-कायस्थ वोटों से सहारे राजनाथ को मात देने की तैयारी

लखनऊ में राजनाथ सिंह विपक्ष के लिए कठिन चुनौती हैं और ऐसे में जानकार मानते हैं कि पूनम के चयन के पीछे जाति का समीकरण अहम कारण है। लखनऊ में करीब दो से ढाई लाख कायस्थ वोटर, 1.25 लाख सिंधी और 3.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं। पूनम खुद एक सिंधी हैं और उनके पति शत्रुघ्न सिंह कायस्थ हैं। ऐसे में सपा-बसपा गठबंधन को उम्मीद है कि इस जाति समीकरण का फायदा पूनम सिन्हा को मिलेगा। 

आडवाणी के नाराजगी का फायदा उठाएंगे शत्रुघ्न

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को राजनीतिक गुरु मानने वाले शत्रुघ्न सिन्हा लखनऊ सीट पर अपनी पत्नी पूनम सिन्हा का चुनाव प्रचार करेंगे। आडवाणी खुद सिंधी समुदाय से हैं और टिकट कटने से बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा जिस दिन कांग्रेस में शामिल हो रहे थे उन्होंने आडवाणी का नाम लेकर कई बार पीएम मोदी-अमित शाह पर निशाना साधा था।

ऐसे में उम्मीद है कि वो सिंधी वोटों को लुभाने के लिए चुनाव प्रचार में आडवाणी के टिकट कटने का मसला जरूर उठाएंगे। आडवाणी के कारण सिंधी परंपरागत रुप से जनसंघ और बीजेपी के वोटर रहे हैं।

वाराणसी में प्रियंका हो सकती हैं उम्मीदवार

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारे जाने को लेकर कांग्रेस गंभीर मंथन कर रहा है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से इस मसले पर चर्चा भी की है कि प्रियंका को वाराणसी में विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में उतारा जाये ताकि मोदी को बनारस में ही बांधा जा सके। 

प्रियंका को वाराणसी से उम्मीदवार बनाने को लेकर कांग्रेस कितनी गंभीर है इसका आकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस चार अलग टीमें वाराणसी भेज कर गोपनीय सर्वेक्षण करा रही है कि इस सीट पर जातीय समीकरण देखते हुये विभिन्न वर्गों की क्या राय है। कितने फ़ीसदी लोग मोदी को पुनः चुनना चाहते हैं। मोदी सरकार के पांच साल के कामकाज़ पर लोग क्या सोच रहे हैं।

इसके साथ साथ यह भी आकलन किया जा रहा है कि राहुल की न्याय योजना जिसके तहत 72000 रुपये सालाना दिये जाने हैं को लोग गांव और शहर में कितना पसंद कर रहे हैं और कांग्रेस को उसका चुनाव में कितना लाभ मिल सकता है। सूत्रों ने बताया कि इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही कांग्रेस निर्णय करेगी कि प्रियंका को मोदी के खिलाफ उतारा जाये अथवा नहीं। 

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