आचार संहिता के अनुपालन हेतु कदम उठाने के साथ ही चुनाव आयोग ने पहली बार देश में आर्थिक रूप से संवेदनशील लोकसभा क्षेत्रों की विशेष निगरानी का भी तंत्र तैयार किया है। आर्थिक संवेदनशील क्षेत्र में उन सीटों को माना गया है जहां पर चुनाव आयोग की खर्च की निर्धारित सीमा का राजनैतिक दलों-उम्मीदवारों की ओर से उल्लंघन की आशंका है।
इसके लिए विशेषज्ञों की तैनाती भी की गई है। इसमें खासकर दक्षिण और पश्चिमी भारत के लोकसभा सीट शामिल हैं। जिन सीटों पर इस तरह की निगरानी की जा रही है, उसमें नागपुर भी शामिल है। विदर्भ की इस सीट को आर्थिक रूप से सबसे संवेदनशील माना गया है। यहां पर चुनाव पहले चरण में 11 अप्रैल को होने हैं।
दूसरी ओर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहले चरण की सभी आठ सीटों को इस दायरे में रखा गया है। जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की कई सीट इस तरह की निगरानी दायरे में रहेंगी।
सूत्रों के मुताबिक नागपुर को लेकर खास निगरानी की जा रही है। इसकी वजह यह है कि यह पहले चरण में चुनाव के लिए जाने वाली सबसे हॉट सीट है। यहां पर एक ओर भाजपा से केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी हैं तो दूसरी ओर से भाजपा के सांसद पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस के उम्मीदवार बने नाना पटोले हैं।
विदर्भ और खासकर नागपुर सीट की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में राहुल गांधी, अमित शाह और नरेंद्र मोदी अपनी सभा-दौरा कर चुके हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आर्थिक संवेदनशील सीट से तात्पर्य यह है कि यहां पर विभिन्न राजनैतिक दल और उम्मीदवार की ओर से निर्धारित सीमा से अधिक राशि खर्च करने की आशंका है।
इसके लिए एक ओर जहां पर बैंकों से निकासी को ट्रैक किया जा रहा है तो दूसरी ओर नकदी का लेन-देन करने वालों पर भी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा सट्टा बाजार में पैसा लगाने वालों पर भी नजर रखी जा रही है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि नागपुर के साथ ही पहले चरण में 11 अप्रैल को चुनाव में जाने वाली उप्र की सभी 8 सीटों पर भी खास निगरानी रखी जा रही है।
इसकी वजह यह है कि यहां पर भी निर्धारित राशि की सीमा के उल्लंघन की आशंका है। यह क्षेत्र भाजपा, महागठबंधन के लिए सबसे अहम हो गया है। ऐसे में यहां पर आर्थिक निगरानी के लिए स्थानीय स्तर पर भी कई कमेटी बनाई गई है। पहले चरण में देश के 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है।