लोकसभा चुनाव 2019: मध्यप्रदेश में राष्ट्रवाद की लहर को ऋणमुक्ति से थामना चाह रही है कांग्रेस
By शिवअनुराग पटैरया | Published: March 15, 2019 05:09 AM2019-03-15T05:09:20+5:302019-03-15T05:09:20+5:30
कांग्रेस के समाने सबसे बड़ी चुनौती बालाकोट की एयर स्ट्राइक के बाद उठ खड़ी हुई राष्ट्रवाद की लहर को थामना है इसके लिए प्रदेश में कांग्रेस अपनी सरकार के कामकाज को प्रस्तुत कर आगे बढ़ना चाह रही है.
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के मैदान में राष्ट्रवाद की लहर को थामने के लिए कांग्रेस ऋण मुक्ति को बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है. कांग्र्रेस सरकार के रणनीतिकारों का मानना है कि ऋण माफी के जरिए राष्ट्रवाद की लहर को काफी हद तक थामा जा सकता है. वहीं भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद की लहर पर सवार होकर मोदी सरकार के कामकाज को मतदाताओं को लुभाना चाह रही है.
वैसे मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रवाद और किसानों ऋण मुक्ति के अलावा कई और मुद्दे भी हैं इनमें प्रमुख हैं राफेल की खरीदी से जुड़ा विवाद, पिछड़े वर्ग के आरक्षण में 14 से 27 फीसदी की वृद्वि अनारक्षित वर्ग के गरीबों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी का आरक्षण उद्योगों में स्थानीय लोगों को रोजगार, बेरोजगारों को भत्ता ओर राममंदिर निर्माण. इन मुद्दे के इर्दगिर्द ही प्रदेश के दोनों बडेÞ अपनी चुनावी रणनीति को बुन रहे हैं.
कांग्रेस के समाने सबसे बड़ी चुनौती बालाकोट की एयर स्ट्राइक के बाद उठ खड़ी हुई राष्ट्रवाद की लहर को थामना है इसके लिए प्रदेश में कांग्रेस अपनी सरकार के कामकाज को प्रस्तुत कर आगे बढ़ना चाह रही है. इसको लेकर जो चुनाव अभियान बनाया जा रहा है उसके केन्द्र में किसानों को रखा गया है. कांग्रेस के रणनीतिकार मानते है कि प्रदेश में अब तक जिन 25 लाख किसानों को ऋणमुक्ति दी गई है उससे कम से कम हर लाभांवित परिरवार के 4 लोग प्रभावित होंगे. इस तरह उसको भारोसा है कि लगभग 1 करोड़ मतदाता को वह सहज ही अपने पक्ष में मोड़ पाएगी. वहीं भाजपा का मानना है कि ऋणमुक्ति जिस आधे अधूरे तरीके से हुई है उसका खामियजा कांग्रेस को भोगना पडेÞगा.
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता डा. हितेश वाजपेयी ने लोकमत समाचार से बातचीत करते हुए कहाकि किसानों की ऋणमुक्ति एक दिखावे की तरह है. बहुत किसानों की ऋण मुक्ति हुई है. जिन किसानों की ऋण मुक्ति हुई उन किसानों की ऋण मुक्ति आधी अधूरी है.
चुनावी मैदान में कांग्रेस राफेल के मुद्दे को लेकर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमले जारी रखना चाह रही है. कांग्रेस का मानना है कि इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नैतिक आधार कामजोर होगा. इसके अलावा कांग्रेस को पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में वृद्धि से लाभ मिलना नजर आ रहा है. दरअसल मध्यप्रदेश की कुल आबादी में लगभग 53 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की आबादी है. उसे लगता है इससे पिछड़ा वर्ग के मतदाता उसके पक्ष में ध्रुवीकृत होंगे इसके अलावा कांग्रेस को बडेÞ उद्योगों स्थानीय लोगों को 70 फीसदी नौकरियां देने की मुख्यमंत्री की घोषणा और बेरोजगारों को वेरोजगारी भत्ता देने पर भरोसा है. कांग्रेस के विपरीत भाजपा का दाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के कामकाज के साथ-साथ बालाकोट की एयर स्ट्राइक के बाद देश में उपजी राष्ट्रवाद की लहर पर है. इसके साथ ही भाजपा को भरोसा है कि आर्थिक आधार पर लिए गए 10 फीसदी आरक्षण का लाभ भी उसे मिलेगा.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों के लिए चार चरणों में 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई को मतदान होना है. 29 अपै्रल को सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा 6 मई को टीकमगढ़, दमोह, सतना, खजुराहो, रीवा, होशंगाबाद और बैतूल में. 12 मई को मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में और 19 मई को देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा संसदीय क्षेत्र के लिए मतदान होना है.