लोकसभा चुनाव 2019ः बलिया में जातीय समीकरण का बोलबाला, सभी दल सियासी गोटी बिछाने में जुटे
By सतीश कुमार सिंह | Published: April 18, 2019 12:32 PM2019-04-18T12:32:47+5:302019-04-18T12:32:47+5:30
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरणों की बड़ी भूमिका रही है। खासकर पूर्वांचल में यह समीकरण हर चुनाव में अपना रंग दिखाता रहा है, लेकिन बलिया में 2014 का लोकसभा चुनाव इस मामले में अलग रहा।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बलिया के निवासियों के विद्रोही तेवर के कारण इसे बागी बलिया के नाम से जाना जाता है। बलिया उत्तर प्रदेश में सबसे पूर्वी जिला है। भोजपुरी भाषा इस जिले में बहुतायत से बोली जाती है। बलिया का नाम बलिया राक्षस राज बलि के नाम पर पड़ा। राजा बलि ने बलिया को अपनी राजधानी बनाया था।
बलिया संसदीय सीट पर छिड़े चुनावी संग्राम में उम्मीदवार वोटों की जोड़-तोड़ में जुट गए हैं। इसके लिए वही पुराने तरीके अपनाए जा रहे हैं, जो हमेशा से सियासतदार अपनाते रहे हैं। कहीं जाति व धर्म की बात की जा रही है, तो कहीं धनबल व बाहुबल के आधार पर मत बटोरने की कोशिश जारी है। सभी दल इसके लिए गांव-गांव में सियासी गोटी बिछाने में जुटे हैं।
बलिया लोकसभाः इस बार हालात बदले-बदले
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरणों की बड़ी भूमिका रही है। खासकर पूर्वांचल में यह समीकरण हर चुनाव में अपना रंग दिखाता रहा है, लेकिन बलिया में 2014 का लोकसभा चुनाव इस मामले में अलग रहा। केन्द्र में लगातार कांग्रेस की सत्ता के चलते उपजी नाराजगी के बीच नरेन्द्र मोदी के नाम का ऐसा जादू चला कि सारे समीकरण ध्वस्त हो गए। उस वर्ष अपने मैराथन चुनाव अभियान का समापन नरेन्द्र मोदी ने बलिया में ही किया था। इसका ऐसा असर हुआ कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की इस परम्परागत सीट पर पहली बार बीजेपी ने जीत हासिल की। लेकिन इस बार हालात बदले-बदले से हैं।
बलिया लोकसभाः मतदाताओं की संख्या
बलिया जिले में मतदाताओं की संख्या में 23 लाख 58 हजार 606 हैं। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 12 लाख 93 हजार 860, महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 64 हजार 676 और अन्य मतदाता 70 हैं। युवा मतदाता (18-19 साल) 13 हजार 437 हैं। साल 2014 में कुल मतदाता 22 लाख 21 हजार 951 थे।
अधिसूचना के साथ ही नामांकन 22 अप्रैल से
जिले की सात विधानसभा सीटें तीन लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हैं। अधिसूचना 22 अप्रैल से जारी होगी। यानि उसी दिन से नामांकन शुरू हो जाएगा। मतदान सांतवें चरण यानी 19 मई को है।
इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर
पिछली बार की तरह सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, जबकि पूर्वांचल के मुस्लिम वोटों में मजबूत पैठ रखने वाले मुख्तार व अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का अस्तित्व खत्म हो चुका है और वे इस समय बसपा में हैं। ऐसे में अबकी चुनाव में भाजपा के सामने गठबंधन एक कड़ी चुनौती प्रस्तुत करने को पूरी तरह तैयार है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 3 लाख 59 हजार 758 वोट मिले थे।
भरत नहीं 'मस्त' होंगे भाजपा प्रत्याशी
भाजपा ने बलिया के सांसद भरत सिंह को टिकट न देकर भदोही से तीन बार सांसद रहे वीरेंद्र सिंह 'मस्त' को बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भदोही सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त दूसरी बार बलिया लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले वे तीन बार भदोही का सांसद रह चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की विरासत बलिया संसदीय सीट के लिए भी सपा ने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। पिछली बार यहां से नीरज शेखर चुनाव लड़े थे, जो इस समय राज्यसभा सदस्य हैं। कांग्रेस ने भी प्रतायाशी घोषित नहीं किए। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा ) के प्रमुख ने भाजपा से बगावत कर विनोद तिवारी को अपना प्रत्याशी बनाया है।