लोकसभा चुनाव 2019: एक दशक पहले हुई थी ‘हिंदू आतंकवाद’ को लेकर राजनीति की शुरुआत

By भाषा | Published: April 2, 2019 08:51 PM2019-04-02T20:51:22+5:302019-04-02T20:51:22+5:30

कांग्रेस ने मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और दावा किया कि ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द को उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता आर के सिंह ने परिभाषित किया था, जब वह केंद्रीय गृह सचिव थे।

Lok Sabha Elections 2019: A decade ago, the beginning of politics for 'Hindu terrorism' | लोकसभा चुनाव 2019: एक दशक पहले हुई थी ‘हिंदू आतंकवाद’ को लेकर राजनीति की शुरुआत

धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द गढ़ने के लिए कांग्रेस की आलोचना की जिस पर मुख्य विपक्षी पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी।

Highlights25 अगस्त 2010 को डीजीपी और आईजी के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने ‘‘भगवा आतंकवाद’’ का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना किया।

लोकसभा चुनाव के लिए चल रहे प्रचार के दौरान ‘हिंदू आतंकवाद’ के मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच तकरार की शुरुआत करीब दशक भर पहले हुई थी जब तत्कालीन गृहमंत्री एवं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने समझौता एक्सप्रेस और कुछ प्रमुख मुस्लिम घार्मिक स्थलों के खिलाफ विस्फोटों की पृष्ठभूमि में ‘भगवा आतंकवाद’ गढ़ा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द गढ़ने के लिए कांग्रेस की आलोचना की जिस पर मुख्य विपक्षी पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी। मोदी ने महाराष्ट्र के वर्धा में एक रैली में कहा, ‘‘कांग्रेस ने ‘हिन्दू आतंकवाद’ शब्द का प्रयोग किया..उसने शांतिप्रिय हिंदुओं पर आतंकवादी का ठप्पा लगाया...क्या हिंदू आतंकवाद की कोई एक भी घटना हुई है?’’

कांग्रेस ने मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और दावा किया कि ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द को उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता आर के सिंह ने परिभाषित किया था, जब वह केंद्रीय गृह सचिव थे। मोदी ने यह भी दावा किया था कि वह सुशील कुमार शिंदे थे जिन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री रहते हुए इस शब्द का इस्तेमाल किया था।

25 अगस्त 2010 को डीजीपी और आईजी के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने ‘‘भगवा आतंकवाद’’ का मुद्दा उठाया था। चिदम्बरम ने कहा था, ‘‘... मैं आपको सावधान करना चाहता हूं कि भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिशों में कोई कमी नहीं है। भारत में युवा पुरुषों एवं महिलाओं को कट्टरपंथी बनाने के प्रयासों में कोई कमी नहीं आयी है।

इसके अलावा हाल में ‘भगवा आतंकवाद’ सामने आया है जो अतीत में कई बम विस्फोटों में पाया गया है..।’’ तत्कालीन गृह मंत्री के उक्त बयान पर कई लोगों की त्योरियां चढ़ गईं क्योंकि यह तब आया था जब देश में 2006 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में विस्फोट और हरियाणा में समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट, हैदराबाद में मक्का मस्जिद विस्फोट और 2007 में अजमेर शरीफ दरगाह बम विस्फोट हुए थे।

हालांकि, कांग्रेस ने चिदंबरम की टिप्पणी से तत्काल खुद को अलग कर लिया था और कहा था कि ‘‘आतंकवाद का काले के अलावा अन्य कोई रंग नहीं होता।’’ कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव एवं पार्टी की मीडिया इकाई के प्रमुख जनार्दन द्विवेदी ने 28 अगस्त को कहा कि ‘‘भगवा या केसरिया यहां मुद्दा नहीं है। मुद्दा आतंकवाद है।

आतंकवाद का काले के अलावा कोई रंग नहीं होता है।’’ द्विवेदी ने यह भी कहा ‘‘भगवा रंग हमारी प्राचीन परंपरा का हिस्सा रहा है और हमारी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा है।’’ चिदंबरम के स्थान पर केंद्रीय गृह मंत्री का प्रभार संभालने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुशील कुमार शिंदे ने भी 20 जनवरी 2013 को तब विवाद उत्पन कर दिया जब उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर ‘‘भगवा आतंकवाद फैलाने’’ के लिए ‘‘आतंकी प्रशिक्षण’’ शिविर चलाने का आरोप लगाया।

उन्होंने जयपुर में कांग्रेस के सम्मेलन में कहा, ‘‘जांच के दौरान रिपोर्ट आयी है कि भाजपा और आरएसएस आतंकवाद फैलाने के लिए आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं...समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद में बम लगाए गए थे और मालेगांव में भी एक विस्फोट किया गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना होगा और सतर्क रहना होगा।’’ जब उनकी टिप्पणी पर भाजपा और आरएसएस की ओर से हमला किया गया तो शिंदे ने बाद में कहा, ‘‘यह पेपर में कई बार आया है... यह कोई नई बात नहीं है जो मैंने आज कही है।’’

इस सवाल पर कि क्या यह हिंदू आतंकवाद है या भगवा आतंकवाद, शिंदे ने कहा, ‘‘यह भगवा आतंकवाद है (जो) मैंने कहा है।’’ एक महीने बाद शिंदे ने जयपुर में अपनी टिप्पणी के लिए खेद व्यक्त किया था। 20 फरवरी 2013 को शिंदे ने एक बयान में कहा कि उनकी टिप्पणियों ने गलतफहमी पैदा कर दी थी।

‘‘इसका मतलब यह समझा गया है कि मैं आतंकवाद को एक विशेष धर्म से जोड़ रहा था और कुछ राजनीतिक संगठनों पर आतंकी शिविरों के आयोजन में शामिल होने का आरोप लगा रहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा किसी भी धर्म को आतंक से जोड़ने का कोई इरादा नहीं था...।’’

शिंदे ने कहा ‘‘चूंकि मेरे बयान के कारण विवाद पैदा हुआ है मैं यह स्पष्टीकरण जारी कर रहा हूं और उन लोगों के लिए खेद व्यक्त कर रहा हूं जिन्होंने मेरे बयान से आहत महसूस किया। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करना जारी रखूंगा कि भारत के सामाजिक ताने-बाने में सद्भाव बरकरार रहे।’’

जयपुर में शिंदे की टिप्पणी के दो दिन बाद तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव के रूप में आर के सिंह (वर्तमान में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और भाजपा नेता) ने शिंदे की टिप्पणी को उचित ठहराने की कोशिश की थी। सिंह ने 22 जनवरी 2013 को कहा कि पूरे भारत में विभिन्न आतंकवादी कृत्यों में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया जिनके आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों से करीबी संबंध थे।

सिंह ने कहा, ‘‘हां समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और अजमेर दरगाह शरीफ विस्फोटों की जांच के दौरान हमने कम से कम 10 ऐसे लोगों के नाम पाए जो किसी न किसी समय आरएसएस से जुड़े रहे हैं।’’ सिंह ने यह भी कहा ‘‘हमारे पास उनके खिलाफ सबूत हैं...गवाहों के बयान हैं।’’ सिंह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद 2013 में भाजपा में शामिल हो गए और खुद को उस शब्द से दूर कर लिया और कहा कि उन्होंने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया।

उन्होंने कहा, "भगवा आतंकवाद शब्द को तब के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने गढ़ा था। मैंने कभी उस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।’’ भाजपा में शामिल होने के बाद सिंह ने ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कड़े रुख के लिए पार्टी की सराहना की।’’ उन्होंने दिसंबर 2013 में कहा था, ‘‘भाजपा और उसके अन्य सहयोगी जैसे आरएसएस कभी भी इस पर समझौता नहीं करते हैं। अन्य दल अपने वोट बैंक के कारण समझौता करते हैं’’

2014 में बिहार से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद सिंह सांसद बने। बाद में वे मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल 'संघी आतंकवाद' का उल्लेख किया है और कभी भी 'हिंदू आतंकवाद' का उल्लेख नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों को धर्म के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है। 

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: A decade ago, the beginning of politics for 'Hindu terrorism'