बिहार में लोकसभा चुनाव में जातियों की लहलहाती वोट की फसल को काटने की तैयारी, सभी दलों ने बनाई रणनीति 

By एस पी सिन्हा | Published: March 27, 2019 06:26 AM2019-03-27T06:26:13+5:302019-03-27T06:26:13+5:30

सत्ता में अपनी भागीदारी के लिए चुनाव के पहले कई जातियों ने सम्मेलन कर सत्ता में भागीदारी की मांग कर चुकी हैं. राज्य में कुल 40 सीटों में गया लोकसभा, जमुई लोकसभा, समस्तीपुर लोकसभा, हाजीपुर लोकसभा, गोपालगंज लोकसभा और सासाराम लोकसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है.

lok sabha election: voting in bihar on caste based | बिहार में लोकसभा चुनाव में जातियों की लहलहाती वोट की फसल को काटने की तैयारी, सभी दलों ने बनाई रणनीति 

बिहार में लोकसभा चुनाव में जातियों की लहलहाती वोट की फसल को काटने की तैयारी, सभी दलों ने बनाई रणनीति 

बिहार में लोकसभा चुनाव में जातियों की लहलहाती वोट की फसल को काटने की तैयारी चल रही है. हर सीट पर जातीय समीकरण की जोड-तोड है. इस आपाधापी में राज्य की करीब 250 जातियों को लोकसभा की 40 सीटों में समेटा जाना है. राज्य में 23 अनुसूचित जातियां हैं. इनके लिए छह सीटें आरक्षित हैं, बाकी 34 सामान्य कोटे की सीटों पर 200 से अधिक जातियों को प्रतिनिधित्व देना है.
 
यहां उल्लेखनीय है कि सत्ता में अपनी भागीदारी के लिए चुनाव के पहले कई जातियों ने सम्मेलन कर सत्ता में भागीदारी की मांग कर चुकी हैं. राज्य में कुल 40 सीटों में गया लोकसभा, जमुई लोकसभा, समस्तीपुर लोकसभा, हाजीपुर लोकसभा, गोपालगंज लोकसभा और सासाराम लोकसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है. शेष 34 सीटों सामान्य कोटि की हैं. इसमें सवर्ण समाज, पिछड़ा वर्ग, अति पिछडा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की 225 जातियों को प्रतिनिधित्व देना है. 

टिकट बांटने की बारी आई है तो हर सीट पर जातीय संतुलन बैठाने की चुनौती पैदा हो गई है. किस सीट पर किस जाति का उम्मीदवार दिया जाये जो अन्य जातियों से सामंजस्य स्थापित कर जीत की गारंटी सुनिश्चत कर सके. सत्ता में भागीदारी को लेकर आजादी के पहले ही पिछड़ी जातियों द्वारा त्रिवेणी संघ की स्थापना की गई थी. 

यह वही संघ था जो कांग्रेस के पास सत्ता की मांग करने जाता था तो उनकी खिल्ली उड़ाई जाती थी. इस संघ ने पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने की मुहिम चलाई. 1990 के बाद मंडल कमीशन के आने के बाद सत्ता में समाज में एक बड़ा बदलाव आया. इसके बाद जातियों द्वारा सत्ता में भागीदारी की मांग बढ़ने लगी. 
 
लोकसभा की छह सीटों में अनुसूचित जाति की 23 जातियों को प्रतिनिधित्व देना है. अनुसूचित जातियों में बंतर, बौरी, भोगता, भुइयां, भूमिज, चमार (मोची,चमार-रबिदास, चमार-रविदास,चमार-रोहिदास,चारमारकर), चौपाल, डबगर, धोबी-रजक, डोम (धनगड, बांसफोर, धारीकर, धरकर, डोमरा), दुसाध (धारी, धरही), घासी, हलालखोर, हारी-मेहतर-भंगी, कंजर, कुरैरियार, लालबेगी, मुसहर, नट, पान-सवासी- पानर, पासी, राजवर और तुरी जातियां शामिल हैं. 

वहीं, लोकसभा की सामान्य कोटि की 34 सीटों में हिंदू व मुस्लिम वर्ग की सवर्ण जातियां, पिछडे वर्ग की 22 जातियां और अति पिछडा वर्ग की 115 जातियां शामिल हैं. इसी तरह से सामान्य सीटों में अल्पसंख्यक बाहुल्य लोकसभा क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदाय की जातियों को प्रतिनिधित्व देना है.

Web Title: lok sabha election: voting in bihar on caste based