लोकसभा चुनाव: लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती की करारी हार, रामकृपाल यादव जीते
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 23, 2019 07:46 PM2019-05-23T19:46:18+5:302019-05-23T19:47:28+5:30
मीसा भारती अभी राज्यसभा सदस्य हैं और वह दुबारा चुनाव लड़ रही थीं. इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपना भाग्य आजमाया था, उस वक्त भी रामकृपाल यादव ने हीं उन्हें शिकस्त दी थी.
चारा घोटाला मामले में जेल में कैद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का करिश्मा कोई काम नही आया. उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती को भी हार का मुंह देखना पड़ा. उन्हें पाटलिपुत्र सीट से भाजपा के रामकृपाल यादव ने करारी शिकस्त दे दी. हालांकि इसकी अभी आधिकारिक घोषणा बाकी है. लेकिन मीसा भारती के हार से राजद को बिहार में मुंह की खानी पड़ी है.
मीसा भारती अभी राज्यसभा सदस्य हैं और वह दुबारा चुनाव लड़ रही थीं. इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपना भाग्य आजमाया था, उस वक्त भी रामकृपाल यादव ने हीं उन्हें शिकस्त दी थी. वैसे मोदी सरकार की वापसी को रोकने के लिए महागठबंधन के जनक राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव काफी मशक्कत के बाद भी अपने सियासी चालों में असफल रहे.
लालू यादव चुनावी शतरंज पर सियासी चाल रांची के होटवार जेल से चल रहे थे. उनके हर चाल भाजपा और जदयू को परास्त करने लिए होती थी. लेकिन उनकी सियासी चाल जेल से भी फेल हो गई है. बता दें कि लालू यादव चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं, इस वजह से वह लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी पार्टी और अपने गठबंधन का सहयोग परोक्ष रूप से जेल से कर रहे थे.
उनकी लाख कोशिशों के बाद भी वह जेल से बाहर नहीं आ सके. लेकिन उनके बाहर न होने पर महागठबंधन के दलों को उनकी कमी खल रही थी. लेकिन उनकी कमी को दूर करने लिए लालू यादव जेल में ही अपनी सियासी दरबार लगा रहे थे.
रांची के रिम्स अस्पताल में लालू यादव इलाजरत हैं, लिहाजा शनिवार को मुलाकात के दिन लालू यादव जेल में ही अपनी सियासी दरबार लगाते थे. जहां से उन्होंने महागठबंधन की सीट, उम्मीदवार और सियासी मोहरे सेट किए थे. लालू यादव के मुताबिक ही सारी चीजें तय हो रही थी. जिसके लिए सभी दलों के नेता उनकी अनुमति के लिए जेल तक दरबार में शामिल होने जाते थे.
लालू यादव सियासी चाल के साथ-साथ विरोधियों पर निशाना साधने का भी काम कर रहे थे. अपने ट्विटर हैंडलर से वह लगातार पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे थे. वह एनडीए सरकार की कडी आलोचना कर रहे थे. लेकिन उनकी सारे वार अब खाली दिख रहे हैं. राजद के उम्मीदवार और पार्टी का कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव ने लालू यादव को कमी को हथियार बनाया और लालू यादव की कमी को सहानुभूति का हथियार बनाकर जीत के लिए आगे बढे. चुनावी अभियानों में ऐसा लग रहा था कि उनके हथियार काम कर रहे हैं.
लेकिन नतीजों में ऐसा साफ हो गया कि बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव और लालू यादव के साथ सहानुभूति नहीं दिखाई है. हालांकि लालू यादव की बेटी मीसा भारती के लिए यह हथियार काम किया है. लालू यादव ने जेल से अपने राजद कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए मतदान के पूर्व एक खुला पत्र लिखकर अपना संदेश भी दिया. उन्होंने जेल से ही मतदाताओं तक पहुंचने के लिए कोई कसर नहीं छोडी. लेकिन जनता ने उनसे किसी तरह की सहानुभूति नहीं दिखाई है.
--------------------------------------------
वहीं, जदयू विधान पार्षद नीरज कुमार ने भी महागठबंधन पर जमकर निशाना साधा है. नीरज कुमार ने राजद प्रमुख लालू यादव पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में जिस तरह के रुझान मिल रहे हैं. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि कैदी नम्बर 351 जो रांची के होटवार जेल में बंद हैं, उन्हें पॉलिटिकल शुगर हो गया है. यहां तक कि उन्होंने जिसका भी समर्थन किया, जनता ने इस बार उन्हें पूरी तरह राजनीतिक रूप से विकलांग कर दिया है. जदयू विधान पार्षद ने कहा कि राजबल्लभ, शहाबुद्दीन और अनंत सिंह जैसे रोल मॉडल को जनता ने अस्वीकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि रुझान के अनुसार बिहार की जनता को नरेंद्र मोदी, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार पर भरोसा है.