लोकसभा चुनावः जीत की उम्मीद और हार की आशंका में उलझी पार्टियां, नहीं समझ आ रहा सियासी गणित

By प्रदीप द्विवेदी | Published: May 10, 2019 08:22 AM2019-05-10T08:22:20+5:302019-05-10T08:28:04+5:30

राजस्थान लोकसभा चुनावः राजस्थान में दो करोड़ तीस लाख से ज्यादा मतदाताओं में से 66 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले हैं. पहले चरण में 68.17 प्रतिशत, तो दूसरे चरण में 63.78 प्रतिशत मतदान हुआ.

lok sabha election political parties is not confident for winning rajasthan parliament election | लोकसभा चुनावः जीत की उम्मीद और हार की आशंका में उलझी पार्टियां, नहीं समझ आ रहा सियासी गणित

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Highlightsइस बार लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ है. हर दल के नेताओं की सियासी जुबान कहती है कि इससे उन्हें फायदा होगा, किन्तु दिल है कि मानता नहीं! पिछले लोकसभा चुनाव में 63.11 प्रतिशत मतदान हुआ था और सभी 25 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. सियासी दल यह अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि मतदाताओं पर बीजेपी के राष्ट्रवाद जैसे भावनात्मक मुद्दे असर दिखाएंगे या फिर कांग्रेस के बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं जैसे जनहित के मुद्दे प्रभावी रहेंगे.

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान के दोनों चरण पूरे हो चुके हैं और अब कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों के नेता राजनीति शास्त्र की बातें छोड़ कर सियासी गणित में उलझे हैं. जीत की उम्मीद और हार की आशंका, उम्मीदवारों को ही नहीं, समर्थकों को भी बेचैन कर रही है. कभी जाति समीकरण से हल निकालते हैं, तो कभी मतदान प्रतिशत से हार-जीत का हिसाब करते हैं, परन्तु पक्का कुछ भी नहीं है कि ऐसा ही होगा!

इस बार लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले ज्यादा मतदान हुआ है. हर दल के नेताओं की सियासी जुबान कहती है कि इससे उन्हें फायदा होगा, किन्तु दिल है कि मानता नहीं! 

राजस्थान में दो करोड़ तीस लाख से ज्यादा मतदाताओं में से 66 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले हैं. पहले चरण में 68.17 प्रतिशत, तो दूसरे चरण में 63.78 प्रतिशत मतदान हुआ. गंगानगर 74 प्रतिशत से ज्यादा मतदान के आधार पर सबसे आगे रहा, तो करौली-धौलपुर में सबसे कम करीब 55 प्रतिशत मतदान हुआ. 

उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में 63.11 प्रतिशत मतदान हुआ था और सभी 25 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. यही वजह है कि हर कम होती नजर आ रही सीट बीजेपी की परेशानी बढ़ा रही है. परेशान तो कांग्रेस भी है, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता है और केन्द्रीय नेतृत्व राजस्थान से डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रहा है. दोनों ही दलों के सामने सबसे बड़ी परेशानी है- मतदाताओं की खामोशी.

सियासी दल यह अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि मतदाताओं पर बीजेपी के राष्ट्रवाद जैसे भावनात्मक मुद्दे असर दिखाएंगे या फिर कांग्रेस के बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं जैसे जनहित के मुद्दे प्रभावी रहेंगे.

याद रहे, राजस्थान में 25 लोस सीटों के लिए दो चरणों में मतदान हो चुका है, पहले चरण में 29 अप्रैल को अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जालोर, बारां-झालावाड़, पाली, राजसमंद, टोंक-सवाई माधोपुर, उदयपुर, जोधपुर और कोटा एवं दूसरे चरण में 6 मई को जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, गंगानगर, बीकानेर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, दौसा, नागौर, भरतपुर, धौलपुर-करौली और अलवर लोस सीटों पर मतदान हुआ. अब 23 मई को चुनावी नतीजों का इंतजार है.

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