सीवान सीट: दो बाहुबलियों की पत्नियों के बीच मुकाबला, जानिए 'भगवा बनाम बुर्के' में किसका पलड़ा भारी
By एस पी सिन्हा | Published: May 10, 2019 04:02 PM2019-05-10T16:02:58+5:302019-05-10T16:03:56+5:30
राजग की जदयू प्रत्याशी कविता सिंह के पति अजय सिंह सीवान में हिंदू युवा वाहिनी के मुखिया है और उनका पहनावा भगवा है. इस कारण यहां 'भगवा बनाम बुर्का' की चर्चा है. भगवा बनाम बुर्का की यह चर्चा अजय सिंह की हिना शहाब के बुर्के पर टिप्पणी से शुरू हुई बताई जाती है.

सीवान सीट: दो बाहुबलियों की पत्नियों के बीच मुकाबला, जानिए 'भगवा बनाम बुर्के' में किसका पलड़ा भारी
बिहार में लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 12 मई को मतदान होना है. इसके लिए आज प्रचार का शोर थम गया. उस दिन राज्य की जिन आठ सीटों (वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, महाराजगंज, सिवान, गोपालगंज, शिवहर व वैशाली) पर वोट पडेंगे, उनमें सीवान भी शामिल है. जहां से दो बाहुबलियों की पत्नियां आमने-सामने हैं. ऐसे में सीवान का मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है, जिस पर सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि देश की भी नजर है.
यहां दो बाहुबली नेताओं की बीवियां ताल ठोक रहीं हैं. खास बात यह कि इन दोनों की लड़ाई में एक चर्चा 'भगवा बनाम बुर्के' की चल पड़ी है. इसका आधार कुछ और नहीं, पहनावा हैं और इसे हवा मिली है जदयू प्रत्याशी कविता सिंह के पति अजय सिंह के बयानों के कारण. विदित हो कि सीवान में महागठबंधन के राजद की प्रत्याशी हीना शहाब पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की बीवी हैं. वे सामान्यत: बुर्का में नजर आती हैं.
दूसरी ओर राजग की जदयू प्रत्याशी कविता सिंह के पति अजय सिंह सीवान में हिंदू युवा वाहिनी के मुखिया है और उनका पहनावा भगवा है. इस कारण यहां 'भगवा बनाम बुर्का' की चर्चा है. भगवा बनाम बुर्का की यह चर्चा अजय सिंह की हिना शहाब के बुर्के पर टिप्पणी से शुरू हुई बताई जाती है. अजय सिंह चुनाव प्रचार के दौरान हिना शहाब के बुर्का का जिक्र करते रहे हैं. अजय सिंह अपनी पत्नी के लिए चुनाव प्रचार के दौरान हिना शहाब के पति मो. शहाबुद्दीन की आपराधिक छवि और पाकिस्तान की भी बातें भी करते रहे हैं. हालांकि, अजय सिंह की छवि भी बाहुबली वाली है. उनपर भी कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
अपराध के लिए चर्चित सीवान लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन की ओर से राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को एक बार फिर से चुनावी समर में उतारा गया है, जबकि राजग की ओर से जदयू ने बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी और विधायक कविता सिंह को मैदान में उतारकर मुकाबले को कांटे का बना दिया है. कविता सिंह की सास जगमातो देवी भी जदयू की विधायक थीं. उनके निधन के बाद दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कविता विधायक बनीं.
जानिए क्या है जातीय समीकरण
सीवान संसदीय क्षेत्र के तहत छह विधानसभा सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा और बरहडिया विधनसभा क्षेत्र आते हैं. माना जाता है कि इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम, राजपूत जातियों का खासा प्रभाव है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के ओम प्रकाश यादव ने राजद की हिना शहाब को पराजित किया था. इस चुनाव में राजग में यह सीट जदयू के खाते में चली गई.
हिना शहाब भले ही इस बार तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरी हैं, लेकिन राजनीति में उनकी पहचान आज भी इस क्षेत्र का चार बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले उनके पति मोहम्मद शहाबुद्दीन से ही होती है.
शहाबुद्दीन की राजनीतिक पारी की हुई शुरुआत
शहाबुद्दीन की राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 1990 से निर्दलीय विधायक के रूप में हुई थी. वर्ष 1992 से 2004 तक वो चार बार इलाके के सांसद चुने गए. वर्तमान समय में वे सीवान के चर्चित तिहरे हत्याकांड समेत लगभग दर्जनभर मामलों में सजायाफ्ता हैं और दिल्ली की तिहाड जेल में बंद हैं.
मुस्लिम और यादव वोटरों का दबदबा
सीवान संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम और यादव वोटरों का दबदबा है, जो राजद का वोटबैंक माना जाता है. उन्होंने बताया कि निवर्तमान सांसद ओम प्राकश यादव के टिकट कटने के बाद राजग एकजुट नजर नहीं आ रहा था, लेकिन दो दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से ना केवल राजग कार्यकर्ताओं में जोश आया है, बल्कि राजग की गुटबाजी को भरने में शाह सफल रहे हैं. ऐसे में इस चुनाव में सीवान में सवर्ण मतदाता भी इस चुनाव के परिणाम को प्रभावित करेंगे. वैसे सीवान में इस चुनाव में स्थानीय मुद्दे गायब हैं. यहां राष्ट्रवाद मुख्य मुद्दा है और दोनों गठबंधन में मुकाबला कांटे का है.
हालांकि, वामपंथी दल के प्रत्याशी अमरनाथ यादव मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुए हैं. इनके चुनावी मैदान में आने से महागठबंधन का नुकसान तय माना जा रहा है. ऐसे में हिना शहाब को जहां 'माय' (मुस्लिम-यादव) समीकरण के अलावा कुशवाहा, मल्लाह व दलितों के वोट बैंक के सहारे जीत की उम्मीद है,
वहीं कविता सिंह को सवर्ण जाति के अलावा वैश्य, अतिपिछडी व दलित जाति के साथ मोदी लहर पर भरोसा है. राजग के प्रत्याशी और कार्यकर्ता लोगों के बीच राष्ट्रवाद, प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को लेकर मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं, वहीं बिहार के पुराने 'जंगलराज' को भी याद करवा रहे हैं.
इधर, महागठबंधन प्रधानमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर मतदाताओं को रिझाने में लगी है. बहरहाल, सभी दल मतदताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जी-तोड मेहनत कर रहे हैं. इस चुनाव में सीवान से कुल 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जो जीतने नहीं तो वोट काटने की स्थिति में माने जाते हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधनों के लिए चुनाव तक अपने वोटबैंक को सुरक्षित रखने की चुनौती है.