Shatrughan Sinha Exclusive Interview: भाजपा में ऐसी तानाशाही मैंने कभी नहीं देखी

By हरीश गुप्ता | Published: April 6, 2019 01:30 PM2019-04-06T13:30:46+5:302019-04-06T15:25:43+5:30

Lok Sabha Election 2019, Shatrughan Sinha Exclusive Interview: मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं आरएसएस से। मुझे लगता है आरएसएस चुपचाप देख रहा है। मैं नागपुर का, नागपुर के लोगों का, आरएसएस के लोगों का बहुत सम्मान करता हूं। मगर क्या हो सकता है।

Lok Sabha Election 2019: Shatrughan Sinha Exclusive Interview: Says never seen such dictatorship in BJP | Shatrughan Sinha Exclusive Interview: भाजपा में ऐसी तानाशाही मैंने कभी नहीं देखी

शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार (6 अप्रैल) को औपचारिक तौर पर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।

Highlights'दो आदमी मिलकर, पार्टी, सरकार चला रहे हैं''जब नाश मनुष्य पर छाता है, विवेक पहले मर जाता है'

Lok Sabha Election 2019, Shatrughan Sinha Exclusive Interview:  अपने प्रशंसकों के बीच ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर अभिनेता से राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को इस बात का अफसोस है कि भाजपा में अटल-आडवाणी  के जमाने की लोकशाही अब तानाशाही में बदल गई है। उन्हें इस बात पर आपत्ति है कि पार्टी ‘वन मैन शो और टू मैन आर्मी’बनकर रह गई। लोकमत समाचार ने दिग्गज नेता से विभिन्न मसलों पर विस्तृत बातचीत की। बिहार के पटना साहिब से भाजपा का टिकट कट जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हो चुके शत्रुघ्न सिन्हा ने सभी सवालों के खुलकर जवाब दिए। पेश है शत्रुघ्न सिन्हा से हरीश गुप्ता की बातचीत...

प्रश्न : जिंदगी में इतना बड़ा निर्णय लेने के पीछे कारण? आप तो भाजपा के शुरू से साथी थे?

उत्तर : कारण तो सर्वविदित है। मैंने तो कहा था कि  भाजपा मेरी पहली और आखिरी पार्टी है। मैं तो उस समय से भाजपा के साथ हूं जब यह सिर्फ दो सीटों की पार्टी थी। 

प्रश्न : फिर क्या हो गया ?

उत्तर: नानाजी देशमुख जी के साथ मेरी ट्रेनिंग हुई। उन्होंने मुझे अटल जी, आडवाणी जी के हवाले किया। मुझे एक अच्छा स्कूल मिला और इतना प्यार बढ़ गया कि धीरे-धीरे मैं इन लोगों के साथ ही हो गया। लेकिन हमने देखा कि हमारी पार्टी में अटल जी, आडवाणी जी के समय की लोकशाही अब तानाशाही में बदल गई। कलेक्टिव डिसीजन जो पहले हुआ करते थे वे खत्म हो गए। ऑथेरेटियन रूल शुरू हो गया। संवाद बिल्कुल खत्म हो गया। नतीजा आपने देखा होगा। आडवाणी जी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी, इतने विद्वान यशवंत सिन्हा जी के साथ क्या किया। अरुण शौरी.. पूरी लिस्ट है। उनको लगा कि ये लोग आडवाणी जी की वफादारी में हैं या आडवाणी जी इन लोगों के साथ खड़े हैं। मगर बिल्ली को कमरे में बंद करके रास्ता नहीं दोगे तो वो पंजा तो मारेगी ही। इतना होने के बाद भी मैंने कहा कि मैं पार्टी नहीं छोडूंगा, पार्टी चाहे तो मुझे छोड़ सकती है।     

प्रश्न : आलाकमान को दिक्कत क्या थी?

उत्तर : शायद मैं सबसे ज्यादा वोट शेयर से पूरे देश में जीता था। मैंने तथाकथित मोदी लहर में एक भी स्टार प्रचारक को नहीं बुलाया। यहां तक कि आडवाणी जी, यशवंत सिन्हा जी, राजनाथ सिंह जी, सुषमा स्वराज जी किसी को नहीं बुलाया।

प्रश्न : मोदी जी को भी नहीं बुलाया?

उत्तर : मोदी जी ने कहा था कि वे आना चाहते हैं। उन्होंने मुझको फोन किया था। मैंने उनकी प्रशंसा की, तारीफ की और कहा हमें जरूरत होगी तो आपसे नहीं कहेंगे तो किसको कहेंगे, मगर बुलाया नहीं। मगर ये कैसी मोदी लहर थी जो बहुतों के लिए ‘‘मोदी कहर’’ साबित हुई। मोदी कहर ऐसा कि अरुण जेटली जैसे नेता इतनी बुरी तरह से पराजित हुए। शाहनवाज हुसैन को किस स्थिति में पहुंचा दिया। सब मैं चुपचाप देखता गया। जब उन्होंने पटना से नाम की घोषणा कर दी तो किसी अक्लमंद के लिए इशारा ही काफी था।

प्रश्न: आपने मोदी जी को प्रचार के लिए नहीं बुलाया। यही कसक तो नहीं रह गई उनके मन में?

उत्तर : हो सकता है। कुछ भी हो सकता है।

प्रश्न : लेकिन आपके और उनके तो बहुत अच्छे संबंध थे? वे आपके यहां आए थे?

उत्तर : मेरे बेटे कुश की शादी में वे मुंबई में विशेष रूप से आए और उसी समय दिल्ली वापस चले गए। सिर्फ हमारे लिए आए थे। कुछ लोग कहते हैं कि इसलिए आए कि मुझे मंत्री नहीं बनाने की टीस थी। उसकी कमी को पूरी करने के लिए आए थे। वैसे यह दुष्प्रचार भी हमारे मित्र अरुण जेटली ने जगह-जगह किया। 

प्रश्न : तो झगड़े का टर्निग प्वाइंट क्या था?

उत्तर : टर्निग प्वाइंट था अहंकार, दंभ। हमने अपने लिए पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा। मोदी जी के मंत्रिमंडल में मंत्री बन भी जाता तो क्या हो जाता। आज कितने मंत्रियों को लोग जानते हैं, पहचानते हैं। आज चलती किसकी है। संवाद ही खत्म हो गया है। न पार्टी में, न घर में, न दफ्तर में, न कैबिनेट में। सभी स्तुति गान करने में लगे हैं। मैंने देखा कुछ चंद लोग अहंकार और दंभ में हैं और बाकी मौन। पार्टी तानाशाही तरीके से काम करने लगी है यानी ‘वन मैन शो’ हो गया। ‘वन मैन शो एंड इन टू मैन आर्मी’। यह दो आदमी मिलकर, पार्टी, सरकार चला रहे हैं। किसी ने ढाई कहा था मगर मैं वो भी नहीं मानता हूं। 

प्रश्न : आपके आरएसएस से भी अच्छे संबंध हैं, वह क्यों चुपचाप यह सब देख रहा है?

उत्तर : मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं आरएसएस से। मुझे लगता है आरएसएस चुपचाप देख रहा है। मैं नागपुर का, नागपुर के लोगों का, आरएसएस के लोगों का बहुत सम्मान करता हूं। मगर क्या हो सकता है।

प्रश्न : यानी अब महाभारत होगा?

उत्तर : बिल्कुल होगा। 

प्रश्न : तो फिर इस महाभारत का धृतराष्ट्र कौन होगा? 

उत्तर : मैं तो यही कहूंगा।। जब नाश मनुष्य पर छाता है, विवेक पहले मर जाता है। जो बचपन में सुनता था वह अब देख रहा हूं। यह न्याय और अन्याय की लड़ाई है। एक न्याय की बात मेरे मित्र कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने की है। हमारे प्रधानमंत्री इसको ढकोसला कहते हैं। क्या-क्या वायदे नहीं किए। जो साढ़े छह लाख गांव में बिजली देता है उसका अब जिक्र नहीं करते। आपने 18000 गांवों में बिजली पहुंचाई या नहीं पहुंची पता नहीं, मगर उसका प्रचार करते हैं। जो आप वायदे करें वो रासलीला और जो राहुल गांधी करें तो करेक्टर ढीला। ऐसे कैसे चलेगा?

प्रश्न : ममता बनर्जी, केजरीवाल का न्यौता था फिर कांग्रेस को ही क्यों चुना? 

उत्तर : दो-तीन बातें थीं। बहुत सारे दलों ने मुझे ऑफर दिया था। केजरीवाल को मैं अपने छोटे भाई की तरह मानता हूं। ममता बनर्जी ने बहुत आदर, प्यार, आत्मसम्मान दिया। हमारे अखिलेश और मायावती जी भी बहुत अच्छे लोग हैं, लेकिन लोकतंत्र की इस लड़ाई में आप सही मायने में राष्ट्रीय पार्टी को ही चुनते हैं, जो तानाशाही को समाप्त कर सके। दूसरी बात मैं नेहरू-राहुल गांधी परिवार का बहुत बड़ा समर्थक हूं। अगर आपने मेरी किताब ‘एनीथिंग बट खामोश’ पढ़ी हो तो उसमें लिखा था कि अगर मैडम गांधी होतीं तो मैं आज कांग्रेस पार्टी में होता। उस समय मैंने लिखा था मगर वे रहीं नहीं। 

प्रश्न : कहते हैं आपको बनारस से चुनाव लड़ाया जा रहा है?

उत्तर : बहुत लोगों ने कहा, चाहा भी और बहुत प्यार और सम्मान के साथ आग्रह भी किया है। फिलहाल मैं उस पर कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि मेरा ध्यान सिर्फ पटना पर केंद्रित है। पूरे बिहार का मुझे प्यार मिला है। मगर बनारस के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।

प्रश्न : दिल्ली से केजरीवाल ने लड़ने का प्रस्ताव दिया था, कांग्रेस ने भी कहा था?

उत्तर : कहा था। लेकिन अभी तो मैं तेल और तेल की धार देख रहा हूं। आगे-आगे देखिए होता है क्या।

प्रश्न : भाजपा की 75 साल से अधिक के सभी बुजुर्ग नेताओं के टिकट काटने की नीति पर क्या कहेंगे?

उत्तर : पहली बात तो यह फारमूला मेरे ऊपर खुद लागू नहीं होता। इसमें अभी काफी देर है, जहां तक उम्र का सवाल है तो मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री भी इसी श्रेणी में आते होंगे। वह तो संन्यास और पहाड़ों तक में प्रवास की बात कर चुके हैं। लोग तो उनकी डिग्री को भी सही नहीं मानते हैं तो फिर उम्र को कैसे सही मान सकते हैं। उनके पास तो सर्टिफिकेट भी नहीं है। उनकी डिग्री भी नहीं मिली अभी तक। तो फिर जो उम्र चुनाव आयोग को बताई गई है उसे कैसे सही मान लिया जाए। उन्होंने पहले चुनाव आयोग को बहुत कुछ नहीं भी बताया था। अपनी शादीशुदा जिंदगी तक के बारे में भी नहीं। इसलिए ये माना जाता है कि पीएम की उम्र और 75 साल के दायरे में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होगा। मैं मानता हूं कि उम्र से व्यक्ति की सक्रियता पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।

English summary :
Lok Sabha Elections 2019, Shatrughan Sinha Exclusive Interview with Lokmat: Shatrughan Sinha, a well-known actor, is regretting that the democracy in Atal-Advani's era in the BJP has now turned into dictatorship. Lokmat News had a detailed discussion on the various issues from the veteran leader Shatrughan Sinha. Shatrughan Sinha, who has joined the Congress after not getting ticket from Patna Sahib by BJP in Bihar for the Lok Sabha Chunav 2019, has openly answered all the questions.


Web Title: Lok Sabha Election 2019: Shatrughan Sinha Exclusive Interview: Says never seen such dictatorship in BJP