लोकसभा चुनाव: पश्चिम बंगाल में प्रणब मुखर्जी अपने बेटे को लेकर चिंतित, जंगीपुर सीट पर मदद के लिए पहुंचे कोलकाता
By हरीश गुप्ता | Published: March 20, 2019 09:02 AM2019-03-20T09:02:19+5:302019-04-17T12:43:42+5:30
कांग्रेस पश्चिम बंगाल में माकपा या तृणमूल कांग्रेस के साथ समझौते के मूड में नहीं है. उसका आकलन है कि यह अपने दम पर कम से कम चार सीटें जीत लेगी।
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों के बीच चौतरफा मुकाबले से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चिंतित हैं. अपने बेटे अभिजीत मुखर्जी के राजनीतिक भविष्य को लेकर बेहद चिंतित प्रणब समस्याओं को सुलझाने के लिए खुद कोलकाता पहुंच गए हैं. माकपा का कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन नहीं होने से पूर्व राष्ट्रपति परेशान थे.
दरअसल, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ बातचीत पहले की टूट गई थी. माकपा के साथ किसी भी गठबंधन की उम्मीद भी विफल हो गई थी. जंगीपुर में चौतरफा मुकाबला अभिजीत मुखर्जी के लिए राजनीतिक आपदा सरीखा हो सकता है जिन्होंने 2014 में बेहद कम मतों के अंतर से यह सीट जीती थी. अभिजीत ने 3.78 लाख वोट हासिल किए थे, जबकि माकपा उम्मीदवार मुजफ्फर हुसैन को 3.69 लाख वोट मिले थे.
तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार एस. के. नुरुल इस्लाम को 2.07 लाख वोट जबकि भाजपा के समर्थत घोषाल को 96657 वोट मिले. इस प्रकार 2014 में भी अभिजीत मुखर्जी मुश्किल में थे, लेकिन अधिकतर पार्टियां चाहती थीं कि वह अपने पिता के राजनीतिक प्रभाव से जीत दर्ज करें जो राष्ट्रपति बने थे. इस बार राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल बदल गया है. इसका कारण यह है कि इस बार राजनीतिक दलों के लिए प्रत्येक सीट महत्वपूर्ण है.
प्रणब मुखर्जी के लिए नरम रुख रखने के बावजूद न तो भाजपा और न ही तृणमूल कांग्रेस अभिजीत के प्रति त्याग करने के मूड में है. तृणमूल कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में खलीलुर रहमान पर दांव आजमाया है ताकि कांग्रेस का मुस्लिम वोट काटा जा सके. माकपा ने कांग्रेस को चेतावनी दी है कि यदि वह रायगंज में उनके मौजूदा उम्मीदवार मोहम्मद सलीम के खिलाफ अपने प्रत्याशी को वापस नहीं लेती है, तो जंगगीर में अपने प्रत्याशी को उतारेगी.
कांग्रेस को भी अब प्रेम नहीं
कांग्रेस पश्चिम बंगाल में माकपा या तृणमूल कांग्रेस के साथ समझौते के मूड में नहीं है. उसका आकलन है कि यह अपने दम पर कम से कम चार सीटें जीत लेगी जबकि समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन में भी उसे कुछ हासिल नहीं होगा. दूसरी बात यह है कि कांग्रेस का अब प्रणब मुखर्जी के साथ कोई प्रेम नहीं है. वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गलबहिया कर रहे प्रणब मुखर्जी के साथ और चलने को तैयार नहीं है.
माकपा ने 38 उम्मीदवारों की घोषणा की
माकपा ने अब तक 38 उम्मीदवारों की घोषणा की है जबकि गठबंधन की बातचीत विफल होने पर जल्द ही चार सीटों की घोषणा कर सकती है. कांग्रेस ने 11 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है. इनमें दो सीटें ऐसी हैं जहां से 2014 में माकपा ने जीत दर्ज की थी. प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति बनने से पहले लोकसभा में जंगीपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन अब अभिजीत मुखर्जी पर अनिश्चितता ने उन्हें चिंता में डाल दिया है.