लोकसभा चुनावः लद्दाख में मुकाबला लेह और करगिल के बीच होने के कारण कांग्रेस का 'डबल गेम'

By सुरेश डुग्गर | Published: May 2, 2019 08:07 AM2019-05-02T08:07:23+5:302019-05-02T08:22:40+5:30

जम्मू-कश्मीर लोकसभा चुनावः कांग्रेस ने भाजपा के उममीदवार तेजरिंग नामग्याल के मुकाबले में रिजगिन स्पलबार को मैदान में उतारा है। स्पलबार पूर्व जिला प्रधान है।

lok sabha election 2019: ladakh parliamentary constituency congress and bjp fight | लोकसभा चुनावः लद्दाख में मुकाबला लेह और करगिल के बीच होने के कारण कांग्रेस का 'डबल गेम'

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Highlightsकांग्रेस ने भाजपा के उम्मीदवार तेजरिंग नामग्याल के मुकाबले में रिजगिन स्पलबार को मैदान में उतारा है। स्पलबार पूर्व जिला प्रधान है। लद्दाख संसदीय क्षेत्र में मतदाता लेह के बौद्ध और करगिल के मुस्लिमों के तौर पर बंटे हुए हैं। दोनों की संख्या में 19-20 का ही फर्क है।प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर बार बार दोहराते हैं कि रिजगिन ही उनके आधिकारिक उम्मीदवार हैं।

बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में लोकसभा चुनावों के लिए चाहे 4 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन सही मायनों में मुकाबला लेह और करगिल के बीच ही है। नतीजतन कांग्रेस डबल गेम में अपने आपको उलझाए हुए है। कारण, वह किसी भी कीमत पर इस संसदीय क्षेत्र को भाजपा से हथियाना चाहती है जितने पिछली बार पहली बार इस पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस ने भाजपा के उम्मीदवार तेजरिंग नामग्याल के मुकाबले में रिजगिन स्पलबार को मैदान में उतारा है। स्पलबार पूर्व जिला प्रधान है। पर रोचक तथ्य यह है कि लेह में कांग्रेस अपने आधिकारिक उम्मीदवार के साथ-साथ करगिल से आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे असगर करबलाई को भी गैर आधिकारिक तौर पर समर्थन दे रही है।

दरअसल करबलाई कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। वे करगिल क्षेत्र से हैं और करगिल के शक्तिशाली धार्मिक ग्रुप से समर्थन पा चुके हैं। इस बार कांग्रेस ने लेह के रहने वाले स्पलबार को इसलिए चुना था क्योंकि भाजपा ने पिछली बार भी लेह निवासी को तरजीह दी थी और अबकी बार भी। कांग्रेस इस सच्चाई से वाकिफ है कि लद्दाख संसदीय क्षेत्र में मतदाता लेह के बौद्ध और करगिल के मुस्लिमों के तौर पर बंटे हुए हैं। दोनों की संख्या में 19-20 का ही फर्क है। ऐसे में पांच बार लद्दाख की सीट पर काबिज रहने वाली कांग्रेस के समक्ष चुनौती बन खड़ी हुई भाजपा को मैदान में पछाड़ने की खातिर दोनों ही कांग्रेसी उम्मीदवारों-आधिकारिक तथा बागी को समर्थन देना मजबूरी बन गया है। 

कांग्रेस कर रही भाजपा बौद्धों की सहानुभूति पाने की कोशिश?

कांग्रेसी नेता जानते हैं कि भाजपा बौद्धों की सहानुभूति को भुनाने की खातिर इलाके को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग का समर्थन कर रहे हैं और कांग्रेस का डबल गेम यह है कि अगर वह आधिकारिक उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करते हुए लेह में यूटी की मांग का समर्थन करती है तो उसके नेता अप्रत्यक्ष तौर पर बागी उम्मीदवार के प्रचार में भाग लेते हुए करगिल में इस मांग का विरोध करते हैं।

यह बात अलग है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर बार बार दोहराते हैं कि रिजगिन ही उनके आधिकारिक उम्मीदवार हैं। पर कांग्रेसी हैं कि मानते ही नहीं हैं। यह बात अलग है कि बागी उम्मीदवार असगर करबलाई ने अभी तक पार्टी को कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया है जिसमें उनसे चुनाव लड़ने का कारण पूछते हुए उन्हें पार्टी से निकाल देने की धमकी दी गई है परंतु बावजूद इसके उन्हें फिलहाल कांग्रेस से बाहर नहीं किया गया है।

Web Title: lok sabha election 2019: ladakh parliamentary constituency congress and bjp fight



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