मधुबनी लोकसभा सीटः लोगों ने कहा, काम तो हुआ है लेकिन नेता लोग ‘हिन्दू मुस्लिम’ करके सब खराब कर रहे हैं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 30, 2019 15:33 IST2019-04-30T14:53:37+5:302019-04-30T15:33:22+5:30

बीजेपी से अशोक यादव (हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे) वीआइपी के बद्री पूर्वे और निर्दलीय डॉ शकील अहमद चुनावी मैदान में हैं। शकील अहमद को राजद से निष्कासित अली अशरफ फातमी का भी समर्थन प्राप्त है। वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता भी शकील अहमद के सपोर्ट में खड़े हैं। ऐसे में मुख्य मुकाबला डॉ शकील अहमद और अशोक यादव के बीच ही माना जा रहा है।

lok sabha election 2019 former union minister Shakeel Ahmad remains firm on contesting from the Madhubani Lok Sabha seat, which goes to polls in fifth phase on May 6, as an independent candidate. | मधुबनी लोकसभा सीटः लोगों ने कहा, काम तो हुआ है लेकिन नेता लोग ‘हिन्दू मुस्लिम’ करके सब खराब कर रहे हैं

विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना की पैदावार की वजह से मधुबनी की एक अलग पहचान है।

Highlightsमधुबनी सीट पर लोकसभा चुनाव 5वें चरण के तहत 6 मई को है। मुख्य मुकाबला अशोक कुमार यादव और कांग्रेस के बागी शकील अहमद के बीच।दरभंगा और मधुबनी को मिथिला संस्कृति का केंद्र माना जाता है। मैथिली तथा हिंदी यहां की प्रमुख भाषाएं हैं।

‘‘हिन्दू..मुस्लिम करने से विकास कार्य दब जाते हैं और जब काम किया है तो डरना क्या ?’’ यह टिप्पणी भवानीनगर के 80 वर्षीय बुजुर्ग सलामत हुसैन और अहमदा गांव के युवा अमित कुमार राम की ही नहीं बल्कि केवटी, विस्फी से लेकर मधुबनी के एक बड़े वर्ग की है। इनका कहना है कि सड़क, बिजली और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है और ऐसे में नेताओं को हिन्दू-मुस्लिम संबंधी बयानों से बचना चाहिए।

मधुबनी का भवानीपुर क्षेत्र कवि कोकिल विद्यापति की कर्मस्थली और उगना महादेव मंदिर के लिए विख्यात है। भवानीपुर के 80 वर्षीय बुजुर्ग सलामत हुसैन और मोहम्मद चांद कहते हैं, ‘‘काम तो हुआ है । स्कूल में अच्छी पढ़ाई हो रही है, उगना रेलवे हाल्ट बन गया है, सड़क भी अच्छी है। अब तो पीने के पानी का टैंक भी बन गया है। लेकिन नेता लोग ‘हिन्दू मुस्लिम’ करके सब खराब कर रहे हैं। जब काम किया है तो किस बात का डर । काम के आधार पर वोट मांगिये, हिन्दू मुस्लिम नहीं करिये। ’’

अहमदा गांव के अमित कुमार राम कहते हैं ‘‘हमारे क्षेत्र में बहुत काम हुआ है। लेकिन हिन्दू मुस्लिम करने से काम दब जाता है।’’ मधुबनी में ग्रामीण इलाकों में मुसलमानों का एक बड़ा तबका चाहता है कि राम मंदिर मुद्दे का जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए। अहमदा गांव के अली हसन कहते हैं ‘‘अगर समाधान अदालत से ही हो तो भी इसका रास्ता निकलना चाहिए।’’

मधुबनी सीट पर मुख्य मुकाबला डॉ शकील अहमद और अशोक यादव के बीच

बिहार के मधुबनी सीट पर महागठबंधन दरक गया है। वीआइपी के कोटे की इस सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे डॉ शकील अहमद ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है। इस कारण पार्टी ने उनकी सदस्यता भी खत्म कर दी है। शकील अहमद बिहार में कांग्रेस के बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा माने जाते थे। 

मधुबनी सीट पर कांग्रेस के साथ आरजेडी का भी दावा था, लेकिन वीआइपी के खाते में चली गई। अब यहां बीजेपी से अशोक यादव (हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे) वीआइपी के बद्री पूर्वे और निर्दलीय डॉ शकील अहमद चुनावी मैदान में हैं। शकील अहमद को राजद से निष्कासित अली अशरफ फातमी का भी समर्थन प्राप्त है। वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता भी शकील अहमद के सपोर्ट में खड़े हैं। ऐसे में मुख्य मुकाबला डॉ शकील अहमद और अशोक यादव के बीच ही माना जा रहा है।

इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर दो बार सांसद रहे शकील अहमद मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं जो इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। शकील अहमद इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन महागठबंधन में यह सीट वीआईपी पार्टी के खाते में चली गई। महागठबंधन के उम्मीदवार का हवाला देते हुए शकील अहमद ने कहा कि प्रत्याशी कमजोर है और वह राजग के अशोक यादव को रोक नहीं पाएगा।

कांग्रेस और राजद के कद्दावर नेताओं के बागी तेवर से भाजपा उम्मीदवार को फायदा

मधुबनी के लोगों ने उनसे यहां से चुनाव लड़ने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि सुपौल में जो राजद ने किया, उसी तरह कांग्रेस को भी यहां से अपने प्रत्याशी को समर्थन देना चाहिए। राजद नेता अली अशरफ़ फ़ातमी ने भी इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी, पर पार्टी ने संज्ञान नहीं लिया। इस सीट पर फातमी बागी तेवर अपनाये हुए हैं। चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और राजद के इन दो कद्दावर नेताओं के बागी तेवर से भाजपा उम्मीदवार को फायदा होने की उम्मीद है।

मधुबनी सीट पर सवर्ण मतदाताओं के लिये ‘मोदी फैक्टर’ अहम है। विस्फी के ललित कुमार झा कहते हैं ‘‘प्रत्याशी हमारे लिये कोई मायने नहीं रखता, हम तो मोदी के नाम पर वोट देंगे।’’ जितवारपुर के श्रवण कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही वोट देने की बात करते हैं। इस सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और चुनाव परिणाम पर ब्राह्मण एवं अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का गहरा असर रहता है।

दरभंगा और मधुबनी को मिथिला संस्कृति का केंद्र माना जाता है

मधुबनी बिहार के दरभंगा प्रमंडल का एक प्रमुख शहर एवं जिला है। दरभंगा और मधुबनी को मिथिला संस्कृति का केंद्र माना जाता है। मैथिली तथा हिंदी यहां की प्रमुख भाषाएं हैं। विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग एवं मखाना की पैदावार की वजह से मधुबनी की एक अलग पहचान है।

मखाना की खेती करने वाले किसान भूजल स्तर गिरने और मखाना की कम कीमत मिलने की समस्या से परेशान हैं। उनका कहना है कि जल संकट की वजह से मखाना का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। सुव्यवस्थित बाजार न होने के कारण उचित दाम भी नहीं मिल रहा है।

हुकुमदेव नारायण यादव यहां पर हैट्रिक लगा चुके हैं

गौरतलब है कि 1952 से 1976 तक मधुबनी जिले के तहत दो सीटें दरभंगा पूर्व और जयनगर सीट थी। 1976 में परिसीमन के बाद झंझारपुर और मधुबनी सीट बनी। दरभंगा पूर्व सीट पर हुए पहले चुनाव में और फिर 1957 में कांग्रेस के अनिरुद्ध सिन्हा जीते थे। 1962 के चुनाव में इस सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के योगेंद्र झा सांसद चुने गए।

1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिव चंद्र झा सांसद बने। 1971 में कांग्रेस ने इस सीट से जगन्नाथ मिश्रा को उतारा। वह जीते और बाद में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने । जयनगर सीट पर 1952 में कांग्रेस के श्याम नंदन मिश्रा, 1957 में कांग्रेस के यमुना प्रसाद मंडल, 1967 और 1971 के चुनाव में सीपीआई के भोगेन्द्र झा चुनाव जीते। 1976 में परिसीमन हुआ और मधुबनी सीट बनी। 1977 में इस सीट से चौधरी हुकुमदेव नारायण यादव जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते।

1980 में यहां से कांग्रेस के शफ़ीकुल्ला अंसारी जीते लेकिन 4 महीने बाद ही उनका निधन हो गया। मई 1980 में यहां फिर चुनाव हुए और सीपीआई के भोगेंद्र झा जीते। 1984 में यहां से कांग्रेस के मौलाना अब्दुल हन्ना अंसारी जीते। 1989 और 1991 के चुनाव में इस सीट से सीपीआई के टिकट पर फिर भोगेंद्र झा जीते। भोगेन्द्र झा इस सीट पर पांच बार जीते। 1996 में सीपीआई के चतुरानन मिश्र जीते।

1998 और 2004 के चुनाव में कांग्रेस के शकील अहमद ने यहां बाजी मारी। 1999, 2009 और 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा के हुकुमदेव नारायण यादव जीते। मधुबनी संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें हरलाखी, बेनीपट्टी, बिस्फी, मधुबनी, केवटी और जाले आती है । 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इनमें से तीन सीटें राजद ने, एक भाजपा ने, एक कांग्रेस ने और एक सीट रालोसपा ने जीती। 

Web Title: lok sabha election 2019 former union minister Shakeel Ahmad remains firm on contesting from the Madhubani Lok Sabha seat, which goes to polls in fifth phase on May 6, as an independent candidate.



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