लोकसभा चुनाव: बिहार में कोसी इलाका सीएम नीतीश कुमार के लिए बनी प्रतिष्ठा की बात, जी जान से जुटे उम्मीदवार
By एस पी सिन्हा | Published: April 20, 2019 07:58 PM2019-04-20T19:58:16+5:302019-04-20T19:58:16+5:30
लोकसभा चुनाव 2019: कोसी की दो संसदीय सीटें सुपौल और मधेपुरा में इस बार का लोकसभा चुनाव रोचक और दोनों महागठबंधनों के लिए चुनौती भरा भी है.
बिहार के कोसी का इलाका आज लोकसभा के चुनाव में केन्द्र बिन्दु बना हुआ है. इस ईलाके का महत्व कितना है, इसबात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी चुनावी बिगुल बजाने अररिया पहुंचे, जबकि बिहार की राजनीति के सबसे कद्दावर नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों कोसी क्षेत्र में कैम्प कर रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले एक हफ्ते से वे लगातार इस क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और कभी-कभी रात्रि विश्राम भी वहीं करते हैं. उनकी कैम्पिंग को अब शरद यादव की मधेपुरा से उम्मीदवारी से जोड़कर भी देखा जा रहा है. राजनीतिक गलियारों में हो रही चर्चा के अनुसार नीतीश कुमार की यह कैम्पिंग मधेपुरा सीट से शरद यादव की हार सुनिश्चित करने के लिए है.
यहां बता दें कि नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में शरद यादव को मधेपुरा सीट से जिताने के लिए एक हफ्ते तक कैम्प किया था. उस समय शरद यादव मधेपुरा से जदयू के चुनाव चिन्ह से चुनाव लड रहे थे. तब वे राजद के पप्पू यादव से हार गए थे. हालांकि इस बार का परिदृश्य बिल्कुल उलट है. शरद यादव और नीतीश कुमार एक दूसरे के विरोधी हो गए हैं और शरद राजद के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं. सूत्रों की मानें तो शरद को हराने के लिए नीतीश 21 अप्रैल तक कोसी इलाके में ही रुका करेंगे.
बता दें कि यहां उसी दिन प्रचार का अंतिम दिन है. हालांकि लोकसभा चुनाव के इस तीसरे दौर में मधेपुरा के साथ कोसी के सुपौल और झंझारपुर के अलावे अररिया इलाके में भी वोट डाले जाएंगे. इनमें तीनों ही सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के ही उम्मीदवार एनडीए की ओर से चुनाव मैदान में हैं. जाहिर है नीतीश कुमार का कोसी क्षेत्र में रहना भर ही बडा मैसेज है. जबकि अररिया से भाजपा का उम्मीदवार है.
बहरहाल, राजनीति में वो फलसफा बिलकुल सटीक है कि राजनीति में ना तो कोई स्थायी दोस्त होता है, और ना ही दुश्मन. शायद नीतीश शरद की राजनीति भी इसी फलसफे पर फिट बैठती है. कोसी की दो संसदीय सीटें सुपौल और मधेपुरा में इस बार का लोकसभा चुनाव रोचक और दोनों महागठबंधनों के लिए चुनौती भरा भी है.
चुनावी दंगल में भाग्य आजमा रहे कई दिग्गजों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा की लडाई होगी तो पर्दे के पीछे महत्वपूर्ण रोल अदा करने वाले अन्य कई राजनीतिक दिग्गजों की भी अग्नि परीक्षा होने वाली है. यह चुनाव सांसद दंपति पप्पू यादव और रंजीत रंजन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. जानकारों के अनुसार इस बार का चुनाव सांसद दंपति के अलावा मधेपुरा लोकसभा सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार शरद यादव के राजनीतिक सफर की दशा और दिशा तय करने वाला होगा.