राजस्थान प्रदेश में परिपाटी यही रही है कि जिसकी राज्य में सत्ता है उसे लोकसभा में ज्यादा सीटें हासिल होती है। राजस्थान में इस बार कांग्रेस शासनकाल को देखते हुये भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का पलडा आगामी लोकसभा चुनावों की 25 सीटों पर कुछ भारी लग रहा है। कांग्रेसियों के राजस्थान में हौंसले काफी बुलंद है। हांलाकि राहुल गांधी के सामने बडी चुनौती है करीब 25 फीसदी वोटों के अंतर से जूझना।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 25 प्रतिशत से अधिक वोट राजस्थान में हासिल हुये थे। इस लिहाज से कांग्रेस को 25 सीटों पर 25 फीसदी वोटों के फेरे से जूझना होगा। कांग्रेस को 17 वीं लोकसभा चुनावों में वोट प्रतिशत की बराबरी तक मुकाबले में आने के लिये कम से कम साढे 12 फीसदी मत लेने होंगे।
ज्ञातव्य है कि पिछले लोकसभा चुनावों यानि 2014 में राजस्थान में कांग्रेस को सबसे कम मत मिले। वहीं भाजपा को 1977 के बाद यह दूसरा अवसर रहा जब अधिकतम मत प्राप्त हुये। जिसमें भाजपा को 55.61 फीसदी मतों के साथ 25 में से 25 सीटों पर फतह मिली। लेकिन इस बार हालात कुछ बदले से नजर आ रहे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान दौसा सांसद हरीश चंद मीणा ने भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया। इस हिसाब से अब भाजपा में 25 में से 22 सांसद ही है। भाजपा इस बार कई संसदीय सीटों पर नये चेहरे भी ला रही है।