लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी के लिए नाक का सवाल बनी अररिया सीट, क्या सीमांचल में खाता खोल पाएगी पार्टी?

By निखिल वर्मा | Updated: April 22, 2019 16:07 IST2019-04-22T16:03:29+5:302019-04-22T16:07:40+5:30

2009 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले प्रदीप सिंह को मोदी लहर में भी इस सीट से दिवंगत आरजेडी सांसद तस्लीमुद्दीन के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

lok sabha election 2019 bihar araria seat bjp prestige | लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी के लिए नाक का सवाल बनी अररिया सीट, क्या सीमांचल में खाता खोल पाएगी पार्टी?

तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे सरफराज आलम ने जीत हासिल की। 

Highlightsआरजेडी ने पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 1.42 लाख वोटों से जीत हासिल की थी।विधानसभा चुनाव 2015 में जेडीयू ने चार और बीजेपी-कांग्रेस ने एक-एक सीटों पर जीत हासिल की थी।

23 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में बिहार की अररिया, झंझारपुर,सुपौल, मधेपुरा और खगड़िया संसदीय सीट पर मतदान होना है। अररिया सीट सीमांचल में पड़ती है और बीजेपी सीमांचल में सिर्फ इसी सीट पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने यहां से पूर्व सांसद प्रदीप सिंह पर फिर से भरोसा जताया है। 20 अप्रैल को पीएम मोदी ने अररिया में सिंह के लिए एक चुनावी रैली की थी। 

लगातार दो चुनाव हारे प्रदीप सिंह

2009 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सिंह को मोदी लहर में भी इस सीट से दिवंगत आरजेडी सांसद तस्लीमुद्दीन के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2018 में तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे सरफराज आलम ने जीत हासिल की। 

जोकीहाट विधानसभा में उस समय पार्टी का प्रचार करने वाले कटिहार भाजयुमो जिला प्रवक्ता महेंद्र झा कहते हैं, उपचुनाव में सरफऱाज आलम अपने पिता के निधन की सहानुभूति लहर में जीते है। महेंद्र कहते हैं, 2014 में तस्लीमुद्दीन करीब डेढ़ लाख मतों से जीते थे लेकिन 4 साल बाद ही आरजेडी का वोट करीब 80 हजार घट गया। इस बार जेडीयू के साथ होने से पार्टी अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है। 

अररिया संसदीय सीट पर जेडीयू की मजबूत

इस जिले में जोकीहाट, अररिया, नरपतगंज, फारबिसगंज, रानीगंज और सिकटी कुल छह विधानसभा की सीटें हैं। विधानसभा चुनाव 2015 में जेडीयू ने चार और बीजेपी-कांग्रेस ने एक-एक सीटों पर जीत हासिल की थी। वर्तमान सांसद सरफराज आलम ने पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की थी। 2018 में आलम अपने पिता और तत्कालीन आरजेडी सांसद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद उन्होंने आरजेडी के टिकट पर संसदीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है अररिया मजबूत

अररिया में मुस्लिमों की 35 फीसदी से ज्यादा आबादी है। सबसे ज्यादा मुस्लिम वोट जोकीहाट और अररिया विधानसभा सीट पर है जो आरजेडी का गढ़ है। एनडीए को अन्य चार सीटों से काफी उम्मीदें है। पार्टी प्रत्याशी प्रदीप सिंह अतिपिछड़ी जाति के गंगई उप जाति से आते हैं। यहां अति पिछड़ी जाति के करीब 4.60 वोट हैं।

अररिया से सटे जिले कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद कहते हैं, एनडीए नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिपिछड़ों के सर्वमान्य नेता है। इसके अलावा इस सीट पर बीजेपी हमेशा मजबूत रही है। पार्टी ने पिछले 20 सालों में तीन बार लोकसभा चुनाव जीता है। 

लोकमत से बातचीत में बिहार बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा मंत्री सचिव नवाब अली ने कहते हैं, हमारी पार्टी जात-पात की राजनीति नहीं करती थी। पीएम मोदी सवा सौ करोड़ लोगों की बात करते हैं। मोदी सरकार की योजनाएं सभी धर्मों और जातियों के लिए होती है।

एमवाई (मुस्लिम यादव) की राजनीति करने वाले जान जाएं की उनकी दाल नहीं गलने वाली, लोग जागरूक हो चुके है। बिहार में एमवाई समीकरण के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाया गया है। मुस्लिमों की राजनीति करने वाले नेता आज कहां-कहां पहुंच गए जबकि हमारा कौम के लोगों के हालात आज भी बुरे हैं।

जिला पंचायत सदस्य गुलशन आरा और बीजेपी युवा मोर्चा के महेंद्र झा चुनाव प्रचार के दौरान
जिला पंचायत सदस्य गुलशन आरा और बीजेपी युवा मोर्चा के महेंद्र झा चुनाव प्रचार के दौरान

बीजेपी को उम्मीद है कि वो एमवाई समीकरण में सेंध लगाने में कामयाब रहेगी। अरयिया जिला पंचायत सदस्य गुलशन आरा का कहना है कि बीजेपी को मुस्लिम-यादव का समर्थन पिछली बार ज्यादा मिलेगा। इसका कारण पूछने पर वह कहती हैं, वोट प्रत्याशी के नाम पर नहीं बल्कि पीएम मोदी के काम पर पड़ेगा।

अररिया सीट बीजेपी के लिए नाक का सवाल

बीजेपी बिहार में सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और सीमांचल में सिर्फ एक सीट अररिया में। माना जा रहा था कि कटिहार सीट बीजेपी के खाते में जाएगी लेकिन यह सीट जेडीयू को दी गई। इसके बाद बीजेपी की ओर अपनी दावेदारी पेश कर रहे एमएलसी अशोक अग्रवाल ने निर्दलीय पर्चा भर दिया था, हालांकि पार्टी के मनाने के बाद उन्होंने उम्मीदवारी वापस ले ली।

वहीं पूर्णिया सीट भी जेडीयू के खाते में गई। वहां से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके उदय सिंह इस बार बागी हो गए। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा है।

बीजेपी विधायक तारकिशोर प्रसाद कहते हैं, अशोक अग्रवाल का पर्चा भरना उनका निजी मामला था। वहीं पूर्व सांसद को पार्टी छोड़कर नहीं जाना चाहिए। गठबंधन में सीटों की अदला-बदली होती रहती है। हालांकि प्रसाद ने ये भी कहा कि अगर कटिहार से बीजेपी का उम्मीदवार होता तो वह भी जीत जाता। कुल मिलाकर अब बीजेपी का खाता अररिया में सिर्फ सीमांचल सीट खुल सकता है और इसके लिए पार्टी पुरजोर कोशिश कर रही है। 

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