लोकसभा चुनावः एक दर्जन सीटें बनी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती, कैसे होगा मिशन- 25 पूरा

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: March 24, 2019 19:53 IST2019-03-24T19:53:03+5:302019-03-24T19:53:03+5:30

वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन अब इन 25 सीटों को बचाना आसान नहीं है, क्योंकि तब राज्य में बीजेपी की सरकार थी और मोदी लहर अपना जोरदार असर दिखा रही थी. 

LOK SABHA ELECTION: 12 Seats have become challange for BJP | लोकसभा चुनावः एक दर्जन सीटें बनी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती, कैसे होगा मिशन- 25 पूरा

लोकसभा चुनावः एक दर्जन सीटें बनी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती, कैसे होगा मिशन- 25 पूरा

Highlightsलोस चुनाव 2014 में बीजेपी ने करीब एक दर्जन सीटें ढाई लाख से भी कम वोटों से जीती थीं.सबसे बड़ी चुनौती करौली-धौलपुर सीट है, जिसे पिछले लोस चुनाव में बीजेपी ने मात्र 27216 वोट के अंतर से जीती थी.

लोस चुनाव को लेकर कुछ सर्वे भले ही कह रहे हों कि राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीटों में से बीजेपी नीत एनडीए को 20 सीटें और कांग्रेस नीत यूपीए को 5 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन पिछले चुनाव के नतीजों पर ही नजर डाल लें, तो करीब एक दर्जन ऐसी सीटें हैं, जिन्हें बचाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है, जबकि अब, न तो बीजेपी 2014 जैसी मजबूत है और न ही कांग्रेस कमजोर. 

वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर कब्जा किया था, लेकिन अब इन 25 सीटों को बचाना आसान नहीं है, क्योंकि तब राज्य में बीजेपी की सरकार थी और मोदी लहर अपना जोरदार असर दिखा रही थी. 

2014 में एकतरफा जीत मिली 

लोस चुनाव 2014 में बीजेपी ने करीब एक दर्जन सीटें ढाई लाख से भी कम वोटों से जीती थीं. बीजेपी ने दो लाख से ज्यादा और तीन लाख से कम अंतर से कोटा, भीलवाड़ा, चुरू, बारां-झालावाड़, भरतपुर, झुंझुनूं, उदयपुर, गंगानगर, अलवर और सीकर की लोस सीटें जीती थी, तो टोंक, सवाई माधोपुर और अजमेर ऐसी लोस सीटें रहीं, जो बीजेपी ने 1 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी, जबकि दौसा, करौली-धौलपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, बाड़मेर और नागौर ऐसी सीटें थीं, जो बीजेपी ने एक लाख से कम वोटों के अंतर से जीती थीं. 

सबसे बड़ी चुनौती करौली-धौलपुर सीट है, जिसे पिछले लोस चुनाव में बीजेपी ने मात्र 27216 वोट के अंतर से जीती थी और मनोज राजोरिया सांसद बने थे. इसके बाद दौसा सीट है, जिसे बीजेपी ने 45404 वोटों से जीती थी.

कर्नल सोनाराम बाड़मेर से बने 

बाड़मेर, जहां से कर्नल सोनाराम सांसद बने थे, यह सीट भी बीजेपी ने 87398 वोटों से जीती थी. इस बार दिलचस्प चुनावी जंग बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर है, जो बीजेपी ने 91916 वोट से जीती थी, किन्तु उस क्षेत्र में विस चुनाव के दौरान बीटीपी के उदय ने सारे सियासी समीकरण को ही बदल दिया है.

इस वक्त उस लोस क्षेत्र से बीटीपी के दो विधायक हैं, तो कई विस क्षेत्रों में बीटीपी उम्मीदवार दूसरे-तीसरे नंबर पर रहे थे. नागौर की सीट भी भाजपा ने मात्र 74959 वोटों से जीती थी. 

ये करीब आधा दर्जन ऐसी सीटें हैं, जिन्हें फिर से हांसिल करना बीजेपी के लिए बहुत मुश्किल है, तो करीब आधा दर्जन ऐसी सीटें हैं, जो बीजेपी ने ढाई लाख से कम वोटों से जीती थी. कुल मिलाकर ऐसी एक दर्जन सीटें पुनः प्राप्त करना भाजपा के लिए नामुमकिन भले ही ना हो, मुश्किल जरूर है. 

Web Title: LOK SABHA ELECTION: 12 Seats have become challange for BJP