राजस्थान की ये है हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट, यहां 1989 से जीतने के लिए तरस रही है कांग्रेस

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 12, 2019 14:56 IST2019-03-12T14:56:15+5:302019-03-12T14:56:15+5:30

लोकसभा चुनाव-2019: राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। प्रथम चरण में 13 सीटों पर 29 अप्रैल को और दूसरे चरण में 12 लोकसभा सीटों पर 6 मई को मतदान कराया जाएगा।

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राजस्थान की ये है हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट, यहां 1989 से जीतने के लिए तरस रही है कांग्रेस

Highlightsझालावाड़-बारां लोकसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं।1952 में हुए लोकसभा चुनाव में झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से कांग्रेस ने खाता खोला और पहले सांसद नेमीचंद्र कासलीवाल चुने गए।साल 2014 में हुए चुनाव के दौरान झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख, 69 हजार, 469 थी।

लोकसभा चुनाव-2019 की तारीखों का ऐलान होने के बाद राजस्थान में भी चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है। सूबे की मुख्य दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस आमजन की दहलीज पर जाकर मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे हुए हैं। प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। प्रथम चरण में 13 सीटों पर 29 अप्रैल को और दूसरे चरण में 12 लोकसभा सीटों पर 6 मई को मतदान कराया जाएगा। वहीं, प्रदेश की राजनीति की सबसे हाईप्रोफाइल सीट पर सबकी नजरें गड़ी हुई हैं। जहां अभी बीजेपी का कब्जा है और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं।

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट

हम बात झालावाड़-बारां लोकसभा सीट की कर रहे हैं, जोकि सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। पहले यह सीट केवल झालावाड़ नाम से जानी जाती थी, लेकिन साल 2008 के परिसीमन में झालावाड़ जिले की 4 और बारां जिले की 4 विधानसभा सीटों को मिलाया गया, जिसके बाद झालावाड़ा-बारां संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ। यह सीट राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र व कोटा संभाग के अंतर्गत आती है। 

ये क्षेत्र आजादी के कुछ समय के बाद से राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस), जनसंघ और फिर बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। साथ ही साथ बीजेपी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे का गृह क्षेत्र है। इस बार वसुंधरा राजे के सामने अपने गृह क्षेत्र को बचाने की चुनौती है क्योंकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली है और कांग्रेस जीत हासिल करने के बाद सूबे में क्लीन स्वीप करने के लिए ताल ठोंक रही है।

झालावाड़-बारां लोकसभा सीट का इतिहास

आजादी के बाद पहली बार 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से कांग्रेस ने खाता खोला और पहले सांसद नेमीचंद्र कासलीवाल चुने गए और 1957 के चुनाव में कांग्रेस से उन्हीं ने जीत हासिल की। वह लगातार दो बार चुने गए। 1962 में कांग्रेस ने ब्रिजराज सिंह पर दांव आजमाया और उन्हें भी जीत हासिल हुई। 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में ब्रिजराज सिंह भारतीय जनसंघ से जीतकर लोकसभा में पहुंचे। 1977 और 1980 का चुनाव जनता पार्टी ने जीता और लगातार दो बार चतुर्भुज सांसद चुने गए। लेकिन, 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने जूझार सिंह को मैदान में उतारा और उसे मिली। 

इधर, बीजेपी ने 1989 में पहली बार वसुंधरा राजे पर दांव खेला, जिसमें उसे सफलता हाथ लगी। इसके बाद पार्टी ने 1991, 1996, 1998, 1999 के चुनाव में राजे पर ही विश्वास जताया और वह लगातार पांच बार सांसद चुनी गईं। इसके बाद बीजेपी ने 2004, 2009, 2014 के चुनाव में वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सिंह पर भरोसा जताया और उसे सफलता मिली। वह पिछले तीन बार से सांसद हैं। कुल मिलाकर बीजेपी 1989 से इस सीट पर काबिज है। जबकि कांग्रेस यहां केवल चार बार जीत हासिल कर सकी है। 

पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़े

चुनाव आयोग के मुताबिक, साल 2014 में हुए चुनाव के दौरान झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख, 69 हजार, 469 थी। इनमें से 11 लाख, 46 हजार, 220 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था और 68.66 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी के उम्मीदवार दुष्यंत सिंह के खाते में 6 लाख, 76 हजार 102 वोट गए थे। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद भाया को 3 लाख, 94 हजार, 556 वोट मिले थे। यहां बीजेपी ने कांग्रेस को 2 लाख, 81 हजार, 546 वोटों के अंतर से हराया था। 

राजस्थान में कुल वोटरों की संख्या

चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार राजस्थान में कुल 4 करोड़, 86 लाख, 3 हजार, 329 मतदाता हैं। इसमें 2 करोड़, 53 लाख, 86 हजार, 133 पुरुष और 2 करोड़, 32 लाख, 16 हजार, 965 महिला मतदाता हैं। वहीं, 1 लाख, 24 हजार, 100 सर्विस मतदाता भी हैं। लोकसभा चुनाव 2014 की तुलना में 27 लाख, 38 हजार, 82 पुरुष और 28 लाख, 70 हजार, 385 महिला एवं 25 हजार, 297 सर्विस वोटर्स लोकसभा चुनाव-2019 में बढ़े हैं।

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