लॉकडाउन में कामकाजी महिलाओं ने 'ऑनलाइन' यौन उत्पीड़न की शिकायत की, कहा- टॉप ऑफिसर काम के बहाने रात में फोन करते हैं
By भाषा | Updated: June 2, 2020 06:10 IST2020-06-02T05:13:23+5:302020-06-02T06:10:37+5:30
महिलाएं ऑनलाइन हो रहे इस यौन उत्पीड़न को लेकर परेशान हैं और वे समझ नहीं पातीं कि जो कुछ हो रहा है, वह यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है या नहीं, और अगर आता है तो घर से काम करते समय इसकी शिकायत कैसे करें।

लॉकडाउन में कामकाजी महिलाओं ने 'ऑनलाइन' यौन उत्पीड़न की शिकायत की। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्लीः कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान घर से काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई बार उन्हें उनके शीर्ष अधिकारी आवश्यक काम के बहाने रात में फोन कर देते हैं तो कई बार ऑनलाइन बैठकों के दौरान उनके सहकर्मी ऐसे कपड़े पहनकर बैठते हैं जिससे महिलाएं असहज महसूस करती हैं। इतना ही नहीं इन कामकाजी महिलाओं को सोशल मीडिया पर पीछा करने और ऐसे व्यक्तियों द्वारा उनकी तस्वीरों पर टिप्पणी किए जाने जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है जो उनकी मित्र सूची में शामिल नहीं हैं। उन्हें अनावश्यक रूप से ‘मित्रता अनुरोध’ भेजे जाने जैसी समस्या से भी जूझना पड़ रहा है।
क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाएं ऑनलाइन हो रहे इस यौन उत्पीड़न को लेकर परेशान हैं और वे समझ नहीं पातीं कि जो कुछ हो रहा है, वह यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है या नहीं, और अगर आता है तो घर से काम करते समय इसकी शिकायत कैसे करें। कई महिलाएं इस बारे में विशेषज्ञों से सलाह ले रही हैं।
‘आकांक्षा अगेंस्ट हरासमेंट’ नामक संगठन की प्रभारी आकांक्षा श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘कंपनियों की ओर से इस बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं कि संगठन में घर से काम कैसे होना चाहिए और यह महिलाओं को भ्रमित करता है। मुझे लॉकडाउन लागू होने के बाद से हर रोज इस तरह के उत्पीड़न की चार-पांच शिकायत मिल रही हैं।’’
हालांकि, लॉकडाउन शुरू होने के बाद से राष्ट्रीय महिला आयोग को इस तरह की कम शिकायत मिली हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस वजह से हो सकता है क्योंकि महिलाएं आधिकारिक रूप से शिकायत नहीं करना चाहतीं और वे परामर्श लेना चाहती हैं कि वे मामले में क्या कर सकती हैं। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘लॉकउाउन के दौरान अनेक महिलाएं अपनी नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, इसलिए वे सुनिश्चित नहीं हैं कि उन्हें आवाज उठानी चाहिए या नहीं।’’
उन्होंने कहा कि घर से काम करने का मतलब है कि थोड़ी परेशानी होगी और किसी को भी इसे स्वीकार करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा और इससे महिलाओं के लिए अधिक तनाव उत्पन्न हो रहा है। श्रीवास्तव ने उदाहरण देकर कहा कि एक महिला को हाल में उसके ‘बॉस’ ने आवश्यक काम के बहाने रात में 11 बजे फोन किया, लेकिन जब बात हुई तो ऐसा कोई जरूरी काम नहीं था। उसने ऐसे काम के बारे में बात की जो आसानी से मेल के जरिए हो सकता था।
एक अन्य मामले में एक महिला को उसके ‘बॉस’ ने वीडियो कॉल कर पूछा कि क्या वह दिए गए काम को घर से करने में सक्षम है क्योंकि वह पीछे अपने बच्चों के खेलने से ‘‘परेशान’’ दिख रही थी। महिलाओं के लिए कार्यस्थलों पर सुरक्षा और काम का उपयुक्त माहौल सुनिश्चित करने के लिए यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून 2013 लागू किया गया था। इसमें कार्यस्थल की पहचान कर्मचारियों से संबंधित स्थल और नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराए जानेवाले परिवहन के रूप में की गई थी।
इन्फोसेक गर्ल्स संगठन की एक विशेषज्ञ ने कहा कि बहुत से लोग शिकायत नहीं करते, लेकिन वे जानना चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई बार लोगों को यह अहसास नहीं रहता कि कॉल पर महिलाएं हैं और वे जानबूझकर या अनजाने में अनुचित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। विशेषज्ञ ने कहा कि जब हर कोई घर पर है तो लोग किसी भी समय कॉल करते हैं, बैठक करते हैं। महिलाओं के लिए यह असुविधाजनक हो सकता है और परिवार के साथ संतुलन स्थापित करने से जुड़ा मुद्दा भी हो सकता है।