लोकसभा में सोमवार (10 फरवरी) को कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर हंगामा किया है। इसके साथ-साथ शीर्ष अदालत के फैसले पर NDA की सहयोगी लोक जन शक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी अपनी असहमति प्रकट की है।
लोजपा अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोजपा सहमत नहीं है, जिसमें बताया गया है कि नौकरियों, पदोन्नति के लिए आरक्षण एक मौलिक अधिकार नहीं है। हम केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं।
बीते दिन भी लोजपा ने केंद्र सरकार से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अलावा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को दशकों से मिलते आ रहे आरक्षण के लाभों को इसी तरह से जारी रखने को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की अपील की थी। चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा था, 'लोजपा सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से सहमत नहीं है। पार्टी की मांग है कि केंद्र सरकार अभी तक की तरह ही नौकरी और पदोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाए।'
कांग्रेस सदस्यों ने संविधान खतरे में होने की टिप्प्णी भी की। द्रमुक, माकपा और बसपा के सदस्यों ने भी अपने स्थान पर खड़े होकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का प्रयास किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया, लेकिन विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। इस पर बिरला ने कहा कि सदस्य इस विषय को शून्यकाल में उठाएं क्योंकि सदन ने ही प्रश्नकाल को सुचारू रूप से चलने देने की व्यवस्था तय की है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पदोन्न्ति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।