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चिराग पासवान बोले- ‘शेर का बेटा’ हूं, लड़ता रहूंगा, चाचा पशुपति पारस पर आरोप, धोखा दिया, संघर्ष पसंद नहीं था

By सतीश कुमार सिंह | Updated: June 16, 2021 17:40 IST

चिराग पासवान ने कहा कि मेरे पिता रामविलास पासवान जब जीवित थे तब भी जद (यू) लोजपा को बांटने के काम में लगी थी, जब मैं बीमार था तब भी साजिश रची गई।

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ठळक मुद्देपिता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के लिए लड़ेंगे।फैसलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया पार्टी का संविधान उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं देता है।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भूमिका के बारे में सवालों से किनारा कर लिया।

नई दिल्लीः लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान ने बुधवार को जनता दल (यूनाइटेड) को अपनी पार्टी में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट द्वारा लिए गए फैसलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया पार्टी का संविधान उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं देता है। पार्टी में विभाजन के बाद मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में, उन्होंने खुद को ‘‘शेर का बेटा’’ बताया और कहा कि वह अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के लिए लड़ेंगे।

विभाजन के लिए जद (यू) को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने इस घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भूमिका के बारे में सवालों से किनारा कर लिया और कहा कि जो हुआ है वह एक आंतरिक मामला है, जिसके लिए वह दूसरों को निशाना नहीं बनाएंगे।

पासवान ने कहा कि यह एक लंबी लड़ाई होने जा रही है। उन्होंने कहा कि क्योंकि लोजपा के स्वामित्व का दावा करने के लिए उनके नेतृत्व वाले समूह की लड़ाई पारस के नेतृत्व में पार्टी के पांच अन्य सांसदों के गुट से है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता रामविलास पासवान जब जीवित थे तब भी जद (यू) लोजपा को बांटने के काम में लगी थी, जब मैं बीमार था तब भी साजिश रची गई थी।’’

चिराग ने बिरला को पत्र लिखा, पारस को संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता देने का विरोध किया

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है।

पासवान ने मंगलवार को लिखे पत्र के माध्यम से बिरला को यह भी सूचित किया कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को लोजपा से निष्कासित कर दिया है जो उनके खिलाफ एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें।

बिहार के जमुई से लोकसभा सदस्य पासवान ने कहा, ‘‘लोजपा के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत केंद्रीय संसदीय बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह फैसला करे कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा। ऐसे में पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में लोजपा का नेता घोषित करने का फैसला हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के विपरीत है।’’

पिछले दिनों लोजपा के छह सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान की जगह पारस को अपना नेता चुना था। अब दोनों समूह यह दावा कर रहे हैं कि उनका गुट ही असली लोजपा है। इस पार्टी की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी जिनका कुछ महीने पहले निधन हो गया था।

वह चिराग पासवान के पिता और पारस के बड़े भाई थे। चिराग पासवान की अगुवाई वाले गुट ने पारस समेत पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित करने का दावा किया है तो पारस के नेतृत्व वाले गुट ने चिराग को अध्यक्ष पद से हटा दिया है।

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