Maharashtra Ki Taja Khabar: महाराष्ट्र के इन पांच जिलों में अभी शराब बिक्री की इजाजत नहीं है
By भाषा | Updated: May 4, 2020 13:48 IST2020-05-04T13:48:01+5:302020-05-04T13:48:01+5:30
महाराष्ट्र के नागपुर में शराब की बिक्री शहर में नहीं होगी लेकिन ग्रामीण इलाकों में शराब की दुकानें खुलेंगी।

सांकेतिक तस्वीर
मुंबई: महाराष्ट्र के पांच जिलों ने शराब की बिक्री की इजाजत नहीं देने का फैसला किया है। एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने कहा था कि गैर निषिद्ध जोनों में शराब सहित गैर जरूरी सामान की दुकानें सोमवार से खुल सकेंगी। सोलापुर, औरंगाबाद, जालना, बुलढाणा और अमरावती जिलों के प्रशासनों ने निर्देश जारी किए हैं कि शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इनमें से एक जिले के कलेक्टर ने पीटीआई-भाषा से कहा, " यह निर्णय आपदा प्रबंधन अधिनियम के पालन में और कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए किया गया है। " सूत्रों ने बताया कि बुलढाणा और अमरावती प्रशासन ने भी शराब की बिक्री पर 17 मई तक रोक जारी रखने और जरूरी सामान की बिक्री की इजाजत देने का फैसला किया है।
औरंगाबाद में स्थित शराब बनाने की फैक्टरियां और बॉटलिंग इकाइयां उत्पादन फिर से शुरू कर सकती हैं लेकिन जिले में इसकी बिक्री पर रोक रहेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नागपुर नगर निकाय ने भी शहर में शराब बेचने की इजाजत नहीं देने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि यह नगर निकाय का निर्णय है और नागपुर जिला कलेक्टर ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। इसका मतलब है कि शराब की बिक्री शहर में नहीं होगी लेकिन ग्रामीण इलाकों में शराब की दुकानें खुलेंगी। महाराष्ट्र के लिए शराब की बिक्री राजस्व का प्रमुख स्रोत है।
इसके अलावा बता दें कि महाराष्ट्र के नागपुर के लिए अच्छी खबर है। जहां यहां संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या में कमी आई है, वहीं मरीजों के स्वस्थ होने की रफ्तार बढ़ी है। अब तक शहर में 33 फीसदी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। यहां रविवार को चार मरीज कोरोनामुक्त हुए। अब तक कुल 50 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।
वहीं रविवार को एक नमूना पॉजीटिव आने के साथ ही शहर में संक्रमितों की संख्या 151 हो चुकी है। खासबात यह है कि देश में कोरोना मुक्त होने की रफ्तार 24.6 फीसदी है। जबकि महाराष्ट्र में यह 17 फीसदी है. लेकिन नागपुर के आंकड़े निश्चित तौर पर उत्साह बढ़ाने वाले हैं। विदर्भ में अब तक 94 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. केरल में सर्वाधिक 80 फीसदी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।