रिपोर्ट में दावाः जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जनजीवन सामान्य, अनुच्छेद 370 हटाए जाने से लोग हैं खुश

By भाषा | Updated: October 24, 2019 05:53 IST2019-10-24T05:53:47+5:302019-10-24T05:53:47+5:30

केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, "कुल मिलाकर कश्मीर गहन मंथन के दौर से गुजर रहा है। कश्मीरी उस भ्रष्ट, दमनकारी, सामाजिक और राजनीतिक संस्कृति से उबरना चाहते हैं जो पिछले 70 वर्षों और खासकर बीते 30 वर्षों में अधिक तीव्रता से कश्मीर में उभरी है।"

Life Normal in Jammu Kashmir, Ladakh Says Fact Finding Team in Report to MoS PMO Jitendra Singh | रिपोर्ट में दावाः जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जनजीवन सामान्य, अनुच्छेद 370 हटाए जाने से लोग हैं खुश

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Highlightsजम्मू-कश्मीर को लेकर बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के एक तथ्यान्वेशी समूह ने राज्य में जनजीवन ठप होने की खबरों को खारिज करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर और लद्दाख) में हालात सामान्य हैं। हालांकि समूह ने सभी क्षेत्रों और लोगों का न्यायोचित विकास सुनिश्चित करने के लिये भरोसा निर्माण के उपाय भी सुझाए हैं।

जम्मू-कश्मीर को लेकर बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के एक तथ्यान्वेशी समूह ने राज्य में जनजीवन ठप होने की खबरों को खारिज करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा कि तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर और लद्दाख) में हालात सामान्य हैं। हालांकि समूह ने सभी क्षेत्रों और लोगों का न्यायोचित विकास सुनिश्चित करने के लिये भरोसा निर्माण के उपाय भी सुझाए हैं।

केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, "कुल मिलाकर कश्मीर गहन मंथन के दौर से गुजर रहा है। कश्मीरी उस भ्रष्ट, दमनकारी, सामाजिक और राजनीतिक संस्कृति से उबरना चाहते हैं जो पिछले 70 वर्षों और खासकर बीते 30 वर्षों में अधिक तीव्रता से कश्मीर में उभरी है।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि टीम ने वहां की फिजा में स्वतंत्रता महसूस की। रिपोर्ट में कहा गया है, "जम्मू क्षेत्र के लोगों ने पांच और छह अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए के प्रावधान हटाने के भारतीय संसद के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया।

विशेष रूप से अनुच्छेद 35-ए के शिकार लोग खुश हैं क्योंकि वे इसे अपना जीवन सामान्य होने की उम्मीद के रूप में देख रहे हैं। समाज के विभिन्न वर्गों को लगता है कि उन्हें पांच अगस्त 2019 को आजादी मिली।"

रिपोर्ट के मुताबिक पहले से ही अन्याय के शिकार समाज के वर्गों को उबारना राज्य और केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी होगी। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने टीम के साथ बैठक के बाद कहा कि इस साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का निर्णय एक ऐतिहासिक निर्णय था।

उन्होंने कहा कि आम धारणा के विपरीत राज्य का अनुच्छेद 370 के बहाने सबसे ज्यादा शोषण किया गया। जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया है। यह फैसला 31 अक्टूबर से प्रभावी होगा। तथ्यान्वेषी समूह में उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, मिरांडा हाउस कॉलेज (डीयू) की सहायक प्राध्यापक सोनाली चिताल्कर, जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) की सहायक प्राध्यापक रितु माथुर और शिक्षाविद् पूनम बछेती शामिल थीं। बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह (जीआईए) की स्थापना 2015 में की गई थी।

यह पेशेवर महिलाओं और उद्यमियों, मध्यस्थतों और शिक्षाविदों का एक समूह है जो सामाजिक न्याय और राष्ट्र-निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। समूह ने कश्मीर में सरपंचों, कश्मीरी हिंदुओं, सिख समुदाय के सदस्यों , तीन अलगाववादियों (उनमें से दो ने पहचान प्रकट करने से इनकार कर दिया), पुलिस कर्मचारी और सड़कों पर घूमते लोगों से मुलाकात की। 

Web Title: Life Normal in Jammu Kashmir, Ladakh Says Fact Finding Team in Report to MoS PMO Jitendra Singh

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