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मुस्लिमों ने ट्रस्ट को पत्र लिखकर बताई मंदिर के जमीन पर कब्रिस्तान होने की बात, तो रामलला के पुजारी ने कहा- शंखनाद से सब होगा शुद्ध

By अनुराग आनंद | Updated: February 19, 2020 13:49 IST

रामलला के पुजारी ने कहा कि जहां पूजा-पाठ होता है, वहां सब शुद्ध होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शंख की ध्वनि गूंजती हो और पूजा पाठ होता है वह भूमि पवित्र हो जाता है। 

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ठळक मुद्देअधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने पत्र में कहा कि बाबरी मस्जिद वाले इलाके में ‘गंज शहीदान’ नाम का एक कब्रिस्तान है।अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बनाई गई कमेटी को अयोध्या के निवासी हाज़ी मोहम्मद सहित 9 लोगों ने पत्र लिखा है।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने  "राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र" ट्रस्ट का गठन किया है, जिसकी पहली बैठक नई दिल्ली में बुधवार को होनी है। इस बैठक से पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई कि अयोध्या के ही 9 लोगों ने "राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र" ट्रस्ट को पत्र लिखकर आवंटित भूमि पर मंदिर निर्माण को रोकने की बात कही है। इसके पीछे तर्क दिया गया कि आवंटित जमीन के 5 एकड़ जमीन पर कब्रिस्तान है। 

इस मामले में एनबीटी को रामलला के पुजारी ने कहा कि जहां पूजा-पाठ होता है, वहां सब शुद्ध होता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शंख की ध्वनि गूंजती हो और पूजा पाठ होता है वह भूमि पवित्र हो जाता है। 

वहीं, इस मामले में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, 'जो मंदिर निर्माण में हर तरह की बाधाएं पहुंचा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से हताश और निराश हैं। ये लोग अब ऐसी बातें कर रहे हैं जिसका कोई प्रतीक भी 67 एकड़ जमीन पर नहीं है। मंदिर के संघर्ष में सदियों से हजारों संतों ने जान गंवाई है।ऐसे में जहां कब्रगाह की तथ्यहीन बात कही जा रही है।

यह है पूरा मामलापीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बनाई गई कमेटी को अयोध्या के निवासी हाज़ी मोहम्मद सहित 9 लोगों ने पत्र लिखा है। अपने लिखे इस पत्र में उन सभी ने कहा है कि 67 एकड़ जमीन जो केंद्र सरकार ने अयोध्या एक्ट के तहत ली थी और अब उसे ट्रस्ट को दे दिया गया है उसमें 4/5 एकड़ में कब्रगाह भी है। ट्रस्ट के सदस्यों से अनुरोध है कि इस बात पर विचार करें कि क्या मंदिर का निर्माण कब्रगाह पर हो सकता है?

इसके साथ ही पत्र में साफ-साफ कहा गया है कि आज की तारीख में भले ही वहां कब्र न दिखाई दे, लेकिन वह कब्रगाह है। सन 1949 से 1992 तक उस जगह का दूसरे तरह से इस्तेमाल हो रहा था. आप "सनातम" धर्म के ज्ञाता हैं, आप इस पर विचार करें।

अधिवक्ता एम.आर. शमशाद भी 9 लोगों में शामिल-अधिवक्ता एम.आर. शमशाद ने पत्र में राम मंदिर जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सभी 10 न्यासियों को संबोधित किया है। इसमें शमशाद ने कहा है कि मुस्लिमों के मुताबिक बाबरी मस्जिद वाले इलाके में ‘गंज शहीदान’ नाम का एक कब्रिस्तान है जहां अयोध्या में 1885 में हुए दंगों में जान गंवाने वाले 75 मुस्लिमों को दफनाया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘फैजाबाद गजट में भी इसका जिक्र है।’’ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए मुस्लिमों के कब्रिस्तान का इस्तेमाल नहीं करने के मुद्दे पर विचार नहीं किया। इससे ‘धर्म’ का उल्लंघन हुआ है।’’

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