सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक कार्यकर्ता को शाम 5 बजे तक रिहा करने का दिया आदेश, फेसबुक पोस्ट को लेकर मई किया गया था गिरफ्तार
By दीप्ती कुमारी | Published: July 19, 2021 02:27 PM2021-07-19T14:27:33+5:302021-07-19T14:29:49+5:30
मणिपुर के राजनीतिक कार्यकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है । एरेन्ड्रो को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत रिहा किया गया था । उन्होंने गौमूत्र और गोबर को लेकर टिप्पणी की थी ।
दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फेसबुक पोस्ट को लेकर मई में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किेए गए राजनीतिक कार्यकर्ता लीचोम्बम एरेन्ड्रो को रिहा करने का आदेश दिया । 37 वर्षीय एरेन्ड्रो को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था । दरअसल एरेन्ड्रो ने कहा था कि गोबर और गौमूत्र से कोरोना ठीक नहीं हो सकता ।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया रिहाई का आदेश
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर तुषार महेता ने सुनवाई के लिए समय मांगा और कल तक के लिए मामले को स्थगित रखने की बात कही थी । इसपर बेंच ने एरेन्ड्रो को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया और कहा कि 'हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता को निरंतर हिरासत में रखना अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा । हम उसे आज शाम 5:00 बजे तक एक हजार के निजी मुचलके के साथ रिहा करने का आदेश देते हैं । सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश एरेन्ड्रो के पिता की याचिका पर सुनाया ।
पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम के साथ कार्यकर्ता को तत्कालीन राज्य भाजपा अध्यक्ष सैखोम टिकेंद्र सिंह की मृत्यु पर टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार किया गया था । मणिपुर भाजपा के उपाध्यक्ष उषाम देबन और महासचिव पी प्रेमानंद मीतेई ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि पोस्ट आपत्तिजनक है ।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह को लेकर पोस्ट करने पर हुआ था विवाद
इससे पहले जून 2020 में एरेन्ड्रो पर राज्य पुलिस ने एक अन्य फेसबुक पोस्ट को लेकर देशद्रोह का आरोप लगाया था, जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ राज्यसभा सांसद सनाजाओबा लीशेम्बा की तस्वीर थी । इस तस्वीर में मणिपुर के सांसद को भाजपा के वरिष्ठ नेता के सामने हाथ जोड़कर झुकते हुए दिखाया गया है। इसके कैप्शन में उन्होंने मणिपुरी भाषा में लिखा- 'मीनाई माचा '। जिसका अर्थ है एक नौकर का बेटा । हालांकि इस मामले में एरेन्ड्रो को जमानत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते देशद्रोह कानून पर सवाल उठाया था । उन्होंने कहा था कि आजादी के 75 साल बाद देशद्रोह कानून जरूरी है।