संसद के मानसून सत्र में सबसे कम काम हुआ, फिर भी पेश किए गए 25 विधेयकों में से 22 पारित, जानिए पूरा लेखा-जोखा
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 12, 2023 06:23 PM2023-08-12T18:23:28+5:302023-08-12T18:26:03+5:30
हाल ही में समाप्त हुआ मानसून सत्र सबसे कम उत्पादक रहा। मानसून सत्र में संसद ने अपने निर्धारित समय से केवल 43% समय तक काम किया। इससे कम काम केवल 2021 मानसून सत्र और 2023 बजट सत्र में हुआ था।
नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहा। मणिपुर मामले पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच शुरुआती कई दिनों तक संसद नहीं चली। हालांकि इसके बाद भी दिल्ली सेवा विधेयक, डेटा संरक्षण विधेयक और अन्य कई महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र में पास हुए। कुल मिलाकर इस सत्र में 22 विधेयक पारित किए गए। इन 22 विधेयकों में 10 ऐसे थे जिन पर एक घंटे से भी कम चर्चा हुई।
हाल ही में समाप्त हुआ मानसून सत्र सबसे कम उत्पादक रहा। मानसून सत्र में संसद ने अपने निर्धारित समय से केवल 43% समय तक काम किया। इससे कम काम केवल 2021 मानसून सत्र और 2023 बजट सत्र में हुआ था। इस सत्र में राज्यसभा लोकसभा की तुलना में थोड़ी अधिक उत्पादक रही, लेकिन फिर भी अपने निर्धारित समय का केवल 55% ही काम कर पाई।
अपने निर्धारित समय से आधे से भी कम समय तक काम करने के बावजूद, यह मानसून सत्र अभी भी पेश किए गए 25 विधेयकों में से 22 को पारित करने में सफल रहा। निचले सदन यानी की लोकसभा ने 2019 के बाद से केवल दो अन्य सत्रों में अधिक विधेयक पारित किए। 2019 के बजट सत्र में 35 विधेयक पारित किए गए थे और 2020 के मानसून सत्र में 25 विधेयक पारित किए गए थे।
राज्यसभा ने इस बार 25 विधेयक पारित किए, जो इस संसद के पहले सत्र में 29 विधेयक पारित होने के बाद उच्च सदन में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। उच्च सदन में आम तौर पर निचले सदन की तुलना में कम विधेयक पेश किए जाते हैं, और 2019 के बजट सत्र में अब तक सबसे अधिक सात विधेयक पेश किए गए हैं।
हालाँकि लोकसभा ने विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक सहित 22 विधेयक पारित किए, लेकिन इसने कानून पर चर्चा करने के लिए अपने कुल 43 घंटों के कामकाजी समय में से केवल 14 घंटे खर्च किए। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 और राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक, 2023 को छोड़कर, अन्य सभी विधेयक एक घंटे से भी कम समय की चर्चा के बाद पारित कर दिए गए। औसतन प्रत्येक पारित विधेयक पर केवल 40 मिनट तक चर्चा हुई।
वस्तु एवं सेवा कर पर दो विधेयक पेश किए गए और प्रत्येक पर केवल दो मिनट की चर्चा के बाद पारित किए गए। राष्ट्रीय नर्सिंग और दंत चिकित्सा आयोग पर विधेयक प्रत्येक पर तीन मिनट की चर्चा के बाद पारित किए गए। दिल्ली सेवा विधेयक पर सबसे लंबी चर्चा हुई। इस पर 4 घंटे और 54 मिनट चर्चा हुई। जो इस सत्र के दौरान कुल चर्चाओं का एक तिहाई था।
मानसून सत्र में राज्यसभा में भी, जहां सरकार का बहुमत बहुत कम है, विधेयकों पर लोकसभा की तुलना में दोगुने से अधिक समय तक चर्चा हुई। इस सरकार के कार्यकाल में यह केवल तीसरी बार है कि राज्यसभा में लोकसभा से अधिक लंबी चर्चा हुई है। गौरतलब है कि दिल्ली सेवा विधेयक पर उच्च सदन में आठ घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई। उच्च सदन में पारित 25 विधेयकों में से केवल 10 पर पारित होने से पहले एक घंटे से भी कम समय तक चर्चा हुई।