नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के 300 से अधिक अधिवक्ताओं ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के “भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा” बनने संबंधी बयान की निंदा की।
'उन्होंने उच्चतम न्यायालय के इन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को स्पष्ट रूप से धमकी दी'
अधिवक्ताओं द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि रीजीजू के भाषण में कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को “भारत विरोधी गिरोह” का हिस्सा होने के रूप में “परोक्ष रूप से संदर्भित” किया गया और उन्होंने उच्चतम न्यायालय के इन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को स्पष्ट रूप से धमकी दी कि कोई भी बच नहीं पाएगा और देश के खिलाफ काम करने वालों को कीमत चुकानी पड़ेगी।
रिजिजू संदेश दे रहे हैं कि विरोध की आवाज को बख्शा नहीं जाएगाः वकील
बयान में कहा गया है, “सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को धमकी देकर कानून मंत्री स्पष्ट रूप से प्रत्येक नागरिक को संदेश दे रहे हैं कि विरोध की आवाज को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को इस तरह बयान देना शोभा नहीं देता है। उन्होंने ऐसा कर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है। अधिवक्ताओं ने बयान में कहा कि सरकार की आलोचना करना न तो राष्ट्र के खिलाफ है और न ही कोई देशद्रोही गतिविधि है। उन्होंने मंत्री को सार्वजनिक रूप से अपनी टिप्पणी वापस लेने और भविष्य में ऐसी टिप्पणी करने से बचने की अपील की।
किरेन रिजिजू ने क्या कहा था?
किरेन रिजिजू ने कहा था कि "कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं शायद तीन या चार, जोकि भारत विरोधी समूह का हिस्सा बन गए हैं। ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए। देश के खिलाफ काम करने वालों को इसकी कीमत चुकानी होगी।" कानून मंत्री ने आगे कहा था कि देश के बाहर और भीतर भारत विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं कि लोकतंत्र खतरे में है। भारत में मानवाधिकार का अस्तित्व नहीं है। भारत विरोधी समहू जो कहता है, वही भाषा राहुल गांधी भी इस्तेमाल करते हैं। इससे भारत की छवि खराब होती है।