वकीलों, वादकारियों को बिना सहमति के प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होने के लिए नहीं कहा जाएगा :अदालत

By भाषा | Updated: December 8, 2020 17:44 IST2020-12-08T17:44:38+5:302020-12-08T17:44:38+5:30

Lawyers, litigants will not be asked to appear directly without consent: court | वकीलों, वादकारियों को बिना सहमति के प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होने के लिए नहीं कहा जाएगा :अदालत

वकीलों, वादकारियों को बिना सहमति के प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होने के लिए नहीं कहा जाएगा :अदालत

(कैप्शन, इंट्रो, दूसरे और चाथे पैरा में सुधार के साथ)

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच किसी वादकारी या वकील को निचली अदालत में प्रत्यक्ष रूप से पेश होने के लिए नहीं कहा जा सकता है जब तक कि सभी पक्ष इस पर अपनी सहमति न दें।

न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने उच्च न्यायालयों की तरफ से जारी परामर्श के मद्देनजर यह स्पष्ट किया कि जब तक इसमें संशोधन नहीं होता तब तक विभिन्न पक्षों को प्रत्यक्ष रूप से पेश होने के लिए नहीं कहा जा सकता है।

न्यायाधीश ने कहा कि बहरहाल हाल में उच्च न्यायालय ने एक नया परामर्श जारी किया है जिसमें अगर संबंधित पक्ष सूचना दिए जाने के बावजूद डिजिटल तरीके से पेश नहीं होते हैं तो निचली अदालत कानून के मुताबिक कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है।

उच्च न्यायालय ने हाल के आदेश में कहा, ‘‘इसे देखते हुए निचली अदालत को निर्देश दिया जाता है कि वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कार्यवाही करें और प्रत्यक्ष रूप से पेशी वाली सुनवाई के लिए कार्यवाही को सूचीबद्ध नहीं करें जब तक कि सभी पक्ष इसके लिए सहमति नहीं दे देते हैं।’’

यह आदेश एक याचिका पर आया है जिसमें याचिकाकर्ता ने निचली अदालत के 23 नवंबर के फैसले पर क्षोभ जताया जिसने 40 वर्ष पुराने एक दीवानी मामले में अगली सुनवाई के लिए लंबी तारीख दे दी।

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Web Title: Lawyers, litigants will not be asked to appear directly without consent: court

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