कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा, "सरकार को समय-समय पर सेवारत और सेवानिवृत्त जजों के खिलाफ शिकायतें मिलती हैं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 6, 2023 10:07 PM2023-04-06T22:07:19+5:302023-04-06T22:12:49+5:30
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बताया कि कानून मंत्रालय के पास समय-समय पर सेवारत और सेवानिवृत्त जजों के बार में शिकायतें मिलती हैं लेकिन लेकिन ज्यादातर शिकायतें उच्च न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों से जुड़ी हुई होती हैं।
दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में जानकारी दी कि कानून मंत्रालय को समय-समय पर सेवारत और सेवानिवृत्त जजों के बार में शिकायतें मिलती हैं। कानून मंत्री ने कहा कि लेकिन ज्यादातर शिकायतें उच्च न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों से जुड़ी हुई होती हैं।
कानून मंत्री ने संसद में यह जवाब उस सवाल के संदर्भ में दिया, जिसमें उनसे पूछा गया था था कि "क्या केंद्रीय कानून मंत्री के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के कुछ पूर्व न्यायाधीश भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं।"
इसके साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री से सेवारत या पूर्व जजों के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों के सूचना स्रोत के खुलासे की भी मांग की गई थी और साथ में यह भी पूछा गया था कि क्या उन्होंने उन शिकायतों को राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर भारत के मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी सूचित किया था।
जिसके लिखित जवाब में कानून मंत्री रिजिजू ने सीधा जवाब दिया 'नहीं'।
उन्होंने जवाब में कहा, "समय-समय पर कानून मंत्रालय में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कार्यरत और सेवानिवृत्त जजों के खिलाफ शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं और ज्यादातर शिकायतें न्यायिक सेवाओं से जुड़ी नियुक्ति और सेवा शर्तों से संबंधित होती है।"
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों से संबंधित मिलने वाली शिकायतों को कानून मंत्रालय द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है।
कानून मंत्री ने कहा कि उच्च न्यायपालिका में जजों की जवाबदेही 'इन-हाउस सिस्टम' के जरिये की जाती है। उन्होंने कहा कि 7 मई 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ण पीठ की बैठक में दो प्रस्तावों को अपनाया था। जिसमें से एक था न्यायिक जीवन के मूल्यों की बहाली और दूसरा था न्यायिक जीवन के सार्वभौमिक आदर्शों का पालन न करने वाले जजों के खिलाफ यथा उपयुक्त कार्रवाई करना।
उच्च न्यायपालिका के लिए स्थापित 'इन-हाउस सिस्टम' के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के आचरण संबंधी शिकायतें के खिलाफ कार्रवाई करने की पात्रता रखते हैं। ठीक उसी तरह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों के आचरण संबंधी शिकायतें के खिलाफ कार्रवाई करने की पात्रता रखते हैं।
उन्होंने कहा, "कानून मंत्रालय को जजों से संबंधित जो भी शिकायतें प्राप्त होती हैं, उन्हें वो उचित कार्रवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश या संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के पास सीधे भेजा देता है।"