सहमति की उम्र 18 से घटाकर 16 करने को विधि आयोग ने बताया अनुचित, कही ये बात
By मनाली रस्तोगी | Published: September 30, 2023 08:45 AM2023-09-30T08:45:36+5:302023-09-30T08:47:05+5:30
विधि आयोग ने केंद्र सरकार को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत सहमति की उम्र 18 साल से घटाकर 16 साल न करने की सलाह दी।
नई दिल्ली: विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत सहमति की मौजूदा उम्र के साथ छेड़छाड़ न करने की सलाह दी है। 22वें विधि आयोग द्वारा शुक्रवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में पैनल ने सहमति की उम्र को घटाकर 16 साल न करने की सलाह दी है। भारत में सहमति की वर्तमान आयु 18 वर्ष है।
आयोग ने कहा कि सहमति की उम्र घटाकर 16 साल करने से गंभीर प्रकृति के अनपेक्षित परिणाम होंगे, जिसमें बाल विवाह और बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आयोग ने ये भी कहा कि 16 से 18 वर्ष के बच्चों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने से वास्तविक मामलों को नुकसान होगा और पॉस्को अधिनियम महज कागजी कानून बनकर रह जाएगा।
आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम में संशोधन का सुझाव दिया कि दोनों पक्षों की मौन स्वीकृति वाले मामलों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाएगा जितना कि आम तौर पर कानून के तहत आते हैं। आयोग ने 16-18 आयु वर्ग के बच्चों के बीच मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में सजा के मामले में निर्देशित न्यायिक विवेक शुरू करने का सुझाव दिया।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि नाबालिगों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों से निपटने में कानून संतुलित है और साथ ही उन्हें यौन शोषण से भी बचाया जा सके।