‘घर से काम करने’ की संस्कृति के कारण लॉन्ड्री चलाने वालों को हो रहा घाटा

By भाषा | Updated: July 1, 2021 17:24 IST2021-07-01T17:24:47+5:302021-07-01T17:24:47+5:30

Laundry operators incur losses due to 'work from home' culture | ‘घर से काम करने’ की संस्कृति के कारण लॉन्ड्री चलाने वालों को हो रहा घाटा

‘घर से काम करने’ की संस्कृति के कारण लॉन्ड्री चलाने वालों को हो रहा घाटा

औरंगाबाद, एक जुलाई कोरोना वायरस जनित महामारी के कारण कई कॉर्पोरेट घरानों और अन्य प्रतिष्ठानों द्वारा अपनाई गई ‘घर से काम करने’ की संस्कृति से कई अन्य पेशेवरों के व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ा है जिनमें लॉन्ड्री सेवाएं भी शामिल हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में लॉन्ड्री का व्यवसाय करने वाले बहुत से लोगों का कहना है कि पिछले साल मार्च से शुरू हुए ‘घर से काम करने’ के तरीकों के कारण उनकी आय पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

उनका कहना है कि चूंकि बहुत से लोग काम के लिए अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं इसलिए उन्हें इस्त्री किये हुए अच्छे कपड़े पहनने की जरूरत नहीं पड़ रही है। कुछ लॉन्ड्री सेवा प्रदाताओं का कहना है कि वह लगभग दो सौ कपड़े प्रतिदिन इस्त्री करते थे लेकिन अब हर रोज 40-50 के आसपास ही कपड़े आते हैं।

चिकलथाना क्षेत्र के श्रीकांत बोरुडे, अपने व्यवसाय में घाटे के लिए ‘घर से काम करने’ की संस्कृति के अलावा छोटे स्तर पर होने वाले वैवाहिक आयोजनों को भी दोषी ठहराते हैं।

उन्होंने कहा, “महामारी की शुरुआत से अब तक दो बार बाजार पूरी तरह खुले हैं लेकिन घर से काम करने की नीति के चलते कर्मचारियों को इस्त्री किये हुए कपड़े पहनने की जरूरत महसूस नहीं होती। इससे पहले मैं प्रतिदिन 200 कपड़े इस्त्री करता था। अब यह संख्या घटकर प्रतिदिन 40-50 हो गई है।”

बोरुडे ने कहा कि साड़ी के ‘रोल प्रेस’ और ‘ड्राई क्लीनिंग’ का काम लगभग समाप्त हो गया है क्योंकि शादी में बेहद कम संख्या में लोग जा रहे हैं।

शहर के शिवाजीनगर इलाके में लॉन्ड्री की दुकान चलाने वाले साईनाथ हजारे ने कहा कि अगर वे दाम बढ़ाते हैं तो लोग देने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, “पहले लोग हमें कपड़े धोने को देते थे और हम उन्हें इस्त्री किये हुए कपड़े लौटाते थे। पहले एक सप्ताह में किसी व्यक्ति को कार्यालय जाने के लिए कम से कम पांच कपड़े इस्त्री किये हुए चाहिए होते थे लेकिन अब उन्हें केवल दो कपड़ों की जरूरत होती है क्योंकि वह घर से काम कर रहा होता है। एक साथ कई कपड़े देने वाले ग्राहकों की संख्या में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है।”

समर्थनगर क्षेत्र लॉन्ड्री चलाने वाले श्रीराम हजारे ने कहा कि उनकी आय बेहद कम हो गई है। उन्होंने कहा ‘‘ग्राहकों की संख्या ही घट गई है। पहले मेरी कमाई हर दिन करीब दो हजार रुपये थी जो आज मुश्किल से 400 से 500 रुपये है। दो बार लॉकडाउन हुआ। काम पटरी पर लौट ही नहीं पा रहा है। वर्क फ्रॉम होम की इसमें बड़ी भूमिका रही है।

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Web Title: Laundry operators incur losses due to 'work from home' culture

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