दलाई लामा को तिब्बत से भगाने में मदद करने वाले आखिरी जिंदा बचे भारतीय सैनिक का निधन
By विनीत कुमार | Published: December 31, 2021 07:54 PM2021-12-31T19:54:31+5:302021-12-31T19:54:31+5:30
दलाई लामा को सुरक्षित भारत पहुंटाने में मदद करने वाले सैनिकों में आखिरी जिंदा बचे सदस्य का निधन हो गया है। भारत लाने वाले सैनिक दल के सदस्य नरेन चंद्र दास का निधन सोमवार को हुआ।
धर्मशाला: दलाई लामा को तिब्बत से 1959 में सुरक्षित भगाकर निकालने के सौनिकों के छोटे से दल में आखिरी जिंदा बचे सदस्य का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके पूर्व रेजिमेंट ने यह जानकारी शुक्रवार को दी। नरेन चंद्र दास का निधन सोमवार को असम में हुआ।
तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा तब हिमालय के पहाड़ी रास्तों से 13 दिन चलने के बाद चीनी सैनिकों से छुपते हुए भारत पहुंचे थे। वहीं, उन्हें बचाकर भारत लाने वाले सैनिक दल के सदस्य नरेन चंद्र दास उस समय केवल 22 साल के थे और भारतीय सेना के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल्स के साथ अपना प्रशिक्षण पूरा किया था।
तिब्बत से अरुणाचल प्रदेश पहुंचे थे दलाई लामा
दलाई लामा तब नरेन चंद्र दास और छह अन्य सैनिकों के साथ 31 मार्च, 1959 को अरुणाचल प्रदेश के लुमला पहुंचे। दास ने पिछले साल स्थानीय मीडिया के साथ एक इंटरव्यू में बताया था कि जब दलाई लामा घोड़े पर सवार होकर पहाड़ी रास्तों पर थे तब सैनिकों ने कैसे उन्हें सुरक्षित पहुंचाने में मदद की।
नरेन चंद्र दास 2017 में दलाई लामा से मिले थे। पिछले करीब 60 साल में ये उनकी पहली मुलाकात थी। उस समय दलाई लामा ने नरेन दास से कहा, 'आपके चेहरे को देखते हुए अब मुझे अहसास हो रहा है कि मैं भी जरूर बहुत बूढ़ा हो गया हूं।'
एक साल बाद दास को धर्मशाला में भी आमंत्रित किया गया जहां दलाई लामा ने भारत सरकार से अनुमति लेकर एक निर्वासित तिब्बती सरकार की स्थापना की थी। दास ने पिछले साल कहा था, 'मैं अपने परिवार के साथ गया था और उन्होंने मुझे वहां गले लगाया। उन्होंने मुझे एक स्मृति चिन्ह भी दिया था। मैं अपनी मुलाकात को कभी नहीं भूलूंगा।'