मणिपुर में फिर हुआ बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन, 2000 लोगों ने ली पड़ोसी राज्य असम में शरण
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 11, 2024 10:53 AM2024-06-11T10:53:00+5:302024-06-11T10:56:05+5:30
मणिपुर के जिरीबाम जिले में भड़की हिंसा के कारण लगभग 2,000 लोगों का विस्थापन हुआ है, जिसके कारण सुरक्षा बलों को असम में पड़ोसी कछार जिले को हाई अलर्ट पर रखना पड़ा है।

फाइल फोटो
इंफाल:मणिपुर के जिरीबाम जिले में भड़की हिंसा के कारण लगभग 2,000 लोगों का विस्थापन हुआ है, जिसके कारण सुरक्षा बलों को असम में पड़ोसी कछार जिले को हाई अलर्ट पर रखना पड़ा है।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार असम के लखीपुर क्षेत्र, जो मणिपुर के जिरीबाम से सटा हुआ है। वहां के विधायक कौशिक राय ने अनुमान लगाया कि लगभग 1,000 लोगों ने कछार में आश्रय मांगा है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।
उनके अनुसार विस्थापित लोगों में अधिकांश लोग कुकी और हमार हैं। ये दोनों बड़ी ज़ो जनजाति का हिस्सा हैं और समूह में मेइतेई लोग भी हैं।
लखीपुर के विधायक कौशिक राय ने कहा, “हमने डीसी और एसपी के साथ सोमवार को लखीपुर में रहने वाले विभिन्न सामुदायिक संगठनों के साथ एक बैठक की, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि मणिपुर भड़कना नहीं फैलना चाहिए। हमारे यहां बंगाली, हिंदी भाषी, बंगाली और मणिपुरी मुस्लिम, बिहारियां, दिमासा, हमार, कुकी, खासी और रोंगमेई सहित अन्य आबादी है। ऐसे लोग हैं, जिन्होंने यहां आश्रय मांगा है लेकिन चाहे कुछ भी हो, असम प्रभावित नहीं होना चाहिए।”
इस बीच कछार के एसपी नुमल महत्ता ने कहा कि लखीपुर उपमंडल में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और वहां विशेष कमांडो भी तैनात किए गए हैं। जिरीबाम के हमार मिज़ो वेंग का निवासी, जो अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहता और अब कछार के हमारखावलीन गांव में रह रहा है। उन लोगों में से था जो अपने परिवार के साथ हिंसा से भाग गए थे। उन्होंने कहा, वे 6 जून की रात को नाव से जिरी नदी पार कर गए।
जब तक वह अपना घर छोड़कर भाग नहीं गए, उनका परिवार राज्य में भीषण संघर्ष के बावजूद जिरीबाम में ही रहा। उन्होंने कहा, "असम में मणिपुर से आश्रय की आने वाले लोगों की बढ़ रही है। अभी यहां लगभग 400 लोग हैं। हम नहीं जानते कि हमारे लिए वापस जाना कब संभव होगा।''
जिला प्रशासन के अनुसार सोमवार तक खेल परिसरों और स्कूलों में आश्रय की तलाश में, जिरीबाम जिले के भीतर स्थापित छह राहत शिविरों में 918 लोग रह रहे हैं। ये बड़े पैमाने पर मैतेई लोग हैं जिन्हें 8 जून को उनके कई घर जला दिए जाने के बाद पुलिस और असम राइफल्स ने शिविरों में भेज दिया था।
इनमें मधुपुर की सुभिता ओकराम भी शामिल हैं। ओकराम फिलहाल जिरीबाम के एक खेल परिसर में एक राहत शिविर में रह रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमने गुरुवार को ही अपना गांव छोड़ दिया था क्योंकि हमने सुना था कि आतंकवादी गांवों को घेर रहे हैं। हमने बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन में आश्रय मांगा लेकिन उसके बाद हमें खबर मिली कि हमारे घरों में आग लगा दी गयी है और हमें राहत शिविर में लाया गया। अब, हमें नहीं पता कि हम वापस जा सकते हैं या नहीं।''