जन्मदिन विशेष: चाय की दुकान पर मजदूरी, रिक्शा चालक फिर बने बिहार सीएम, कुछ ऐसा है लालू यादव का सफर

By कोमल बड़ोदेकर | Published: June 11, 2018 06:05 AM2018-06-11T06:05:34+5:302018-06-11T06:05:34+5:30

आज राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव 71वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। उनके जन्मदिन पर पार्टी जमकर तैयारियों में जुटी है।

Lalu Prasad Yadav Birthday today read some special things about lalu prasad yadav | जन्मदिन विशेष: चाय की दुकान पर मजदूरी, रिक्शा चालक फिर बने बिहार सीएम, कुछ ऐसा है लालू यादव का सफर

जन्मदिन विशेष: चाय की दुकान पर मजदूरी, रिक्शा चालक फिर बने बिहार सीएम, कुछ ऐसा है लालू यादव का सफर

नई दिल्ली, 11 जून। आज राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव 71वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। उनके जन्मदिन पर पार्टी जमकर तैयारियों में जुटी है। इस दौरान लालू प्रसाद की उम्र के बराबर यानी 71 पाउंड का केक काटने की तैयारी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विधायक तेज प्रताप यादव इस केक को काटेंगे। समारोह का आयोजन दोपहर 11.30 बजे किया जाएगा। लालू के जन्मदिन पर जानिए उनके बारे में कुछ खास बातें।

चाय की दुकान पर मजदूरी
देश की राजनीति में एक अलग पहचान रखने वाले लालू यादव की ख्वाहिश डॉक्टर बनने की थी लेकिन संयोग और हालात उन्हें राजनीति में खींच लाएं। 11 जून 1948 को गोपालगंज में जन्में लालू बचपन में चाय की दुकान पर मजदूरी किया करते थे। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वे एक दिन बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। बचपन के दिनों में उनकी गरीबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास पढ़ाई की फीस देने के लिए पैसे तक नहीं होते थे इसके बदले वे अपने शिक्षक को गुड़ और चावल देते थे।

शौचालयविहीन क्वार्टर में रहता था परिवार
लालू के भाई मुकुन्द चौधरी पटना में मजदूरी करने आए थे। मुकुन्द लालू को भी अपने साथ पटना ले आए। यहां  शेखपुरा मोड़ स्थित स्कूल में लालू का दाखिला कराया गया। इस दौरान लालू का पूरा परिवार पटना वेटरनरी कॉलेज के एक कमरे के शौचालयविहीन क्वार्टर में रहा करता था। उन दिनों में परिवार के पास लालटेन के लिए केरोसिन तेल खरीदने तक पैसे नहीं होते थे। ऐसे में लालू वेटरनरी कॉलेज के बरामदे में पढ़ाई किया करते थे। 

डॉक्टर बनने की थी ख्वाहिश
लालू प्रसाद यादव की ख्वाहिश डॉक्टर बनने की थी लेकिन उनका यह सपना टूट गया और दोस्तों की सलाह पर उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बीए-एलएलबी की डिग्री हासिल की। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले लालू ने साल 1971 में पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिया और महासचिव बने। इसके बाद जयप्रकाश नारायण की क्रांति से जुड़े। लालू आपातकाल के दौरान गिरफ्तार भी हुए और जेल भी गए।

जब फैली मौत की अफवाह
18 मार्च 1974 को आंदोलन हिंसक हो गया। छात्र सड़कों पर उतर आए। इस आंदोलन में लालू भी सक्रिय भूमिका में थे। आंदोलन रोकने के लिए सेना को बुलाया गया। इस दौरान अफवाह फैल गई कि सेना की गई पिटाई के चलते लालू यादव की मौत हो गई है।

जुझारू नेता बनकर उभरे और सीएम बने
जेपी आंदोलन के दौरान लालू एक युवा जुझारू नेता के रूप बनकर उभरे थे। साल 1977 में हुए आम चुनाव में लालू को जनता ने बतौर सांसद अपना सिरमौर चुना। वहीं साल 1980 से साल 1985 की बीच वे विधायक भी रहें। जबकि साल 1990 में लालू को बिहार के मुख्‍यमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल हुआ। इस दौरान लालू के जीवन के कई उतार चढ़ाव आए। 

चारा घोटाले में जेल
चारा घोटाले के मामले में लालू जेल गए लेकिन जेल से निकलने के बाद एक बार फिर मुख्‍यमंत्री बने। फिलहाल लालू चारा घोटाले के मामले में एक बार फिर जेल की सजा काट रहे हैं लेकिन इन दिनों अपने इलाज के लिए लालू 6 हफ्तों की पैरोल पर बाहर है। 

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