उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी में हुए किसान आंदोलन के दौरान मरने वाले चार किसानों परिवारों को 45 लाख रुपये का मुआवजा एवं सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। इस बात को उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया है। घटना को लेकर उन्होंने कहा कि किसानों की शिकायत पर मामले की एफआई दर्ज कर ली गई है। हाईकोर्ट के रिटायर जज मामले की जांच करेंगे। एडीजी ने आगे कहा कि, कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए घटनास्थल पर धारा 144 लगाई है, जहां पर राजनीतिक दलों के नेताओं को जाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को लखीमपुर में जाने की इजाजत है।
उधर, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने यह मांग की है कि हिंसा में मरने वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिवारों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की है कि घटना की जांच सीबीआई के द्वारा करानी चाहिए और दोषियों के ऊपर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
बता दें कि कांग्रेस सहित कई पार्टियों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। बल्कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाने के दौरान हिरासत में लिया गया है। उधर सपा मुखिया अखिलेश यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के शिवपाल सिंह को घटनास्थल जाने से रोका गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान रविवार को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। यह घटना तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई।