श्रमिक कानूनः मोदी सरकार के खिलाफ 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ
By भाषा | Published: October 6, 2020 08:37 PM2020-10-06T20:37:36+5:302020-10-06T20:37:36+5:30
बीएमएस ने कहा है कि यदि सरकार उसकी मांगों पर गौर नहीं करती है तो उसने लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने की भी योजना बनाई है। वह कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिये आम हड़ताल भी कर सकती है।
नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने मंगलवार को हाल में संसद से पारित श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को वापस लेने की मांग करते हुये कहा है कि वह इन नये कानूनों के विरोध में 28 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेगी।
बीएमएस ने कहा है कि यदि सरकार उसकी मांगों पर गौर नहीं करती है तो उसने लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने की भी योजना बनाई है। वह कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिये आम हड़ताल भी कर सकती है। बीएमएस के पदाधिकारियों ने आनलाइन आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संगठन के पिछले सप्ताह हुये 19वें राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्तावों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
इस सम्मेलन में संगठन ने नये श्रम कानूनों में श्रमिकों के खिलाफ किये गये प्रावधानों को लेकर अखिल भारतीय स्तर पर लगातार विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। बीएमएस ने सरकार से आग्रह किया है वह उसे और अन्य श्रमिक संगठनों को बातचीत के लिये बुलाये और श्रमिक विरोधी प्रावधानानों पर चर्चा करे। सरकार ने सभी चारों श्रमिक कानूनों को इस साल दिसंबर में एक साल लागू करने की घोषणा की है। संसद ने हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में तीन श्रम संहिता विधेयकों को पारित किया है।
इनमें औद्योगिक संबंध सहिंता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और कार्यस्थल सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता को पारित किया है। श्रम मंत्रालय ने इससे पहले पिछले साल पारित वेतन संहिता विधेयक को लेकर नियमों का मसौदा सभी मंत्रालयों विभागों को वितरित कर दिया था। लेकिन बाद में इसके क्रियान्वयन को रोक लिया गया।
मंत्रालय सभी चारों कानूनों को एक साथ लागू करना चाहता था। उसके मुताबिक ये सभी संहितायें आपस में एक दूसरे से जुड़ी हैं। बीएमएस ने इन कानूनों में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को लेकर 10 से 18 अक्टूबर के बीच देशभर में ‘चेतावनी सप्ताह’ आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया है। इसके बाद 28 अक्टूबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे और यदि फिर भी सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो उसके बाद दीर्घकालिक प्रदर्शन और राष्ट्रीय स्तर की आम हड़ताल का आयोजन किया जायेगा।