धर्मांतरण के आरोप पर बोली कुरियन की बेटी, मेरे पिता नास्तिक थे
By भाषा | Published: November 27, 2018 05:35 AM2018-11-27T05:35:34+5:302018-11-27T05:35:34+5:30
संघानी के आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये गुजरात को-ओपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के प्रबंध निदेशक डॉक्टर आर एस सोढी ने कहा कि डॉक्टर कुरियन का वही धर्म था जो देश के सभी किसानों का है।
भारत में ‘दुग्ध क्रांति’’ के जनक के रूप में मशहूर डॉक्टर वर्गीज कुरियन की बेटी ने गुजरात के पूर्व मंत्री दिलीप संघानी के उन दावों को सोमवार को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कुरियन डेरी सहकारी संस्था अमूल के मुनाफे की राशि का उपयोग देश में धर्मांतरण के लिए करते थे।
संघानी ने आरोप लगाया था कि नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड के दिवंगत संस्थापक अध्यक्ष (एनडीडीबी) और गुजरात को-ओपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन अमूल के मुनाफे में से ईसाई मिशनरियों को धर्मांतरण के लिए धन देते थे।
निर्मला कुरियन ने कहा, ‘‘हमें ऐसे बयानों की अनदेखी करनी चाहिए तथा भारत में दुग्ध क्रांति की शुरुआत करने वाले संस्थानों के निर्माण में वर्गीज कुरियन के योगदान पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।’’
अपने पिता की पुण्यतिथि के अवसर पर निर्मला कुरियन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरे पिता एक नास्तिक (इसाई होने के बावजूद) थे और उनकी इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया। उसकी तरह मेरी मां का भी अंतिम संस्कार किया गया।’’ कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को हुआ था और नौ सितंबर 2012 को निधन हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि मवेशी पालने वाले किसानों के जीवन में उनकी वजह से कितना बदलाव आया।’’
एनडीडीबी में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने मेरे पिता से देश में ‘अमूल मॉडल’ की सफलता दोहराने का आग्रह किया था। ऑपरेशन फ्लड से उन्होंने भारत को दूध की कमी वाले एक देश से दुनिया का सबसे अधिक दुग्ध उत्पादक वाला बना दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता का मानना था कि भारत एक दिन सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों में से एक होगा लेकिन वे चिंतित थे कि भारत की 70 प्रतिशत आबादी में ज्यादातर छोटे और सीमांत किसान और मजदूर शामिल हैं। उनकी ख्वाहिश थी कि उन्हें कमाने का अधिक अवसर दिया जाना चाहिए ताकि सुखी संपन्न और वंचितों के बीच की खाई को पाटा जा सके।’’
संघानी के आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये गुजरात को-ओपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के प्रबंध निदेशक डॉक्टर आर एस सोढी ने कहा कि डॉक्टर कुरियन का वही धर्म था जो देश के सभी किसानों का है।
संघानी ने कहा था कि त्रिभुवनदास पटेल अमूल के संस्थापक थे लेकिन डॉक्टर कुरियन अमूल की आय में से धन दक्षिण गुजरात में आदिवासियों के धर्मांतरण के लिए देते थे।
सोढ़ी ने याद करते हुए बताया कि जब नडियाद में डा. कुरियन का एक अस्पताल में निधन हुआ था तो उनके पास तड़के एक फोन आया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं और मेरे सहयोगी वहां गए और निर्मला एवं श्रीमती कुरियन से पूछा कि उनको कहां दफनाया जाएगा (चूंकि वह एक ईसाई थे)।’’
सोढ़ी कहा कि उन्होंने हमें बताया कि डा. कुरियन की इच्छा थी कि उनका दाह संस्कार किया जाए।