कोविड-19 : मप्र उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणियों के साथ जनहित याचिका खारिज की

By भाषा | Published: November 5, 2020 07:10 PM2020-11-05T19:10:15+5:302020-11-05T19:10:15+5:30

Kovid-19: MP High Court dismisses PIL with hard comments | कोविड-19 : मप्र उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणियों के साथ जनहित याचिका खारिज की

कोविड-19 : मप्र उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणियों के साथ जनहित याचिका खारिज की

इंदौर, पांच नवंबर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर में कोविड-19 के प्रकोप को लेकर दायर जनहित याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि याचिकाकर्ता ने जिला प्रशासन के खिलाफ न केवल निराधार आरोप लगाए, बल्कि केंद्र सरकार के एक आला अफसर के नाम पर ‘जाली और मनगढ़ंत’ रिपोर्ट भी पेश की।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला ने भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे की ओर से अगस्त में पेश जनहित याचिका सोमवार को खारिज की।

याचिका में दुबे का प्रमुख आरोप था कि जिला प्रशासन ने कोविड-19 के फैलाव को रोकने को लेकर केंद्र सरकार के जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया और अफसरों की लापरवाही व उनके द्वारा अधिकारों के दुरुपयोग के चलते आम लोगों को महामारी के घातक प्रकोप का सामना करना पड़ा।

युगल पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलों के अध्ययन के बाद जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘(कोविड-19 के प्रकोप से निपटने में) जिला प्रशासन की कड़ी मेहनत की तारीफ करने के बजाय याचिका में निराधार आरोप लगाए गए हैं, और इसलिए अदालत का सुविचारित मत है कि यह याचिका खारिज किए जाने योग्य है।’’

अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है कि निजी खुन्नस निकालने, सस्ता प्रचार पाने और अखबारों में खबरें छपवाकर सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसी जनहित याचिकाएं दायर की जा रही हैं। इन दिनों अदालतों में ऐसी ओछी याचिकाओं की बाढ़ आ गई है।’’

युगल पीठ ने यह भी कहा कि कोविड-19 की महामारी के खिलाफ जारी अभियान में ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर दम तोड़ने वाले सभी शासकीय सेवकों को याचिकाकर्ता द्वारा श्रद्धांजलि दी जाती, तो अदालत उसके व्यवहार की प्रशंसा करती।

रिकॉर्ड के अवलोकन के बाद अदालत ने जनहित याचिका के साथ प्रस्तुत उस दस्तावेज को ‘जाली और मनगढ़ंत’ करार दिया जिसे इंदौर में कोविड-19 की स्थिति पर केंद्र सरकार के एक अतिरिक्त सचिव की 20 जून को पेश रिपोर्ट बताया गया था। इस दस्तावेज में इंदौर में महामारी की जांच के लिए धीमी गति से नमूने लिए जाने और अवैध कारोबार व गतिविधियों की अनुमति दिए जाने समेत अलग-अलग आरोप लगाए गए थे और इनके जरिये सरकारी अफसरों की भूमिका को कटघरे में खड़ा किया गया था।

गौरतलब है कि इंदौर, राज्य में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में 24 मार्च से लेकर चार नवम्बर तक इस महामारी के कुल 34,373 मरीज मिले हैं। इनमें से 685 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि, करीब 35 लाख की आबादी वाले जिले में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार अब काफी धीमी पड़ चुकी है।

Web Title: Kovid-19: MP High Court dismisses PIL with hard comments

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