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भीमा कोरेगांव युद्ध की 201वीं बरसी को लेकर पुलिस अलर्ट, पिछली बरसी पर हुई हिंसा में हुई थी एक की मौत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 29, 2018 11:35 IST

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एक जनवरी 2018 को पुणे के पास स्थित कोरेगांव-भीमा में भड़की हिंसा मामले को एक साल होने को है. ऐसे में पुणे पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह अलर्ट है कि इस बार हिंसा की कोई घटना नहीं हो. राज्य के लिए वर्ष की शुरुआत में भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ के पहले तनाव व्याप्त हो गया था क्योंकि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने आयोजन का विरोध किया था.

कोरेगांव-भीमा में जय स्तंभ पर हर साल दलित समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं, लेकिन इस बार हिंसा भड़कने पर भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी. कोरेगांव-भीमा संघर्ष की एक और वर्षगांठ नजदीक होने के साथ पुणे पुलिस इस बार पूरी चौकसी बरत रही है ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो.

पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक संदीप पाटिल ने कहा कि इस बार जय स्तंभ के आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

दोषियों के पकड़े जाने तक न्याय नहीं होगा

 पिछले साल कोरेगांव-भीमा में हुई हिंसा में मारे गये युवक की मां कोरेगांव-भीमा हिंसा में बड़े बेटे राहुल फटांगड़े की हत्या होने के सालभर बाद भी न्याय का इंतजार कर रही उसकी 57 वर्षीय मां जानाबाई ने कहा, ''मैं सभी हत्यारों को अपनी आंखों के सामने सजा मिलते देखना चाहती हूं. यदि सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में नहीं लगाया जाता है तो इसका मतलब केवल यह होगा कि यहां कानून का शासन नहीं है.''

कोरेगांव-भीमा हिंसा में मामले में पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज समेत पाँच सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा भड़काने का मामला दर्ज किया है।

कोरेगांव  भीमा में एक जनवरी 2018 को क्या हुआ था?

साल 2018 में कोरेगांव भीमा युद्ध की 200वीं बरसी थी। अब इस स्मारक का संरक्षण भीमा-कोरेगांव रणस्तम्भ सेवा संघ (बीकेआरएसएस) करता है। बीकेआरएसएस  के अध्यक्ष सरजेराव वाघमारे ने मीडिया को बताया था कि एक जनवरी 2018 को करीब आठ लाख लोग कोरेगांव भीमा पहुंचे थे। 

भीमा-कोरेगांव की 200वीं बरसी पर आयोजित आयोजन का कई दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। विरोध करने वालों में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा, हिन्दू अगाड़ी और राष्ट्रीय एकतमाता राष्ट्र अभियान ने शामिल थे। ये संगठन इस आयोजन को राष्ट्रविरोधी और जातिवादी बताते हैं।

एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगाँव युद्ध की 200वीं बरसी पर दलित और हिंदुत्ववादी संगठन आपस में भिड़ गये। हिंसा में एक की मौत हो गयी और 40 से ज्यादा घायल हो गये। पूरे महाराष्ट्र में 100 ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 

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