कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सरकारी अस्पताल में सांस लेने में परेशानी और कोविड-19 के लक्षण सामने आने के कारण भर्ती कराए गए पुलिस कांस्टेबल की सोमवार की सुबह मौत हो गई। इससे नाराज सहकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया तथा अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ित करीब 50 साल का था और उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी लेकिन पुलिस प्रशासन ने रविवार को उसे भर्ती कराया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने गरफा पुलिस थाने की संपत्ति को तोड़फोड़ कर क्षति पहुंचायी और कहा कि मृतक पुलिस कर्मी को बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पताल ले जाया जाना चाहिए था।
अस्पताल के अधिकारी इस पूरे प्रकरण पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं थे लेकिन कोलकाता पुलिस के सूत्रों ने बताया कि कांस्टेबल के लार के नमूनों की जांच रिपोर्ट में उसके संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई। प्रदर्शन में शामिल एक पुलिसकर्मी ने कहा, ‘‘उसे सीवियर एक्यूट रेस्पाइरेटरी इलनेस (एसएआरआई) वार्ड में भर्ती कराया गया जबकि उसमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण थे। मेरा मानना है कि हालात खराब होने से पहले उसे बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाना चाहिए था। उन्हें क्यों नहीं निजी अस्पताल में ले जाया गया था।’’
प्रदर्शन के मद्देनजर कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी गरफा पुलिस थाने गए और उन्हें मनाया जिसके बाद नाराज पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन समाप्त किया। उल्लेखनीय हैं कि अब तक सात पुलिस अधिकारियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। पिछले सप्ताह कोलकाता पुलिस कार्रवाई बल के 500 कर्मचारियों ने एजेसी रोड स्थित पीटीएस कांप्लेक्स के पास प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का दावा था कि उन्हें उन इलाकों में तैनात किया जा रहा है जहां पर कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना सबसे अधिक है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी शिकायतों और मांगों पर गौर किया जाएगा और उन्हें बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का वादा किया था।